धर्म का वास्तविक स्वरूप किसमें निहित हैं
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धर्म की भिन्न-भिन्न परिभाषाएं और भिन्न-भिन्न स्वरूप बना लिए हैं। जीवन की सफलता-असफलता के लिए व्यक्ति स्वयं और उसके कृत्य जिम्मेदार हैं। इन कृत्यों और जीवन के आचरणों को आदर्श रूप में जीना और उनकी नैतिकता-अनैतिकता, अच्छाई-बुराई आदि को स्वयं द्वारा विश्लेषित करना यही धर्म का मूल स्वरूप है।
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उत्तर.धर्म की भिन्न-भिन्न परिभाषाएं और भिन्न-भिन्न स्वरूप बना लिए हैं। जीवन की सफलता-असफलता के लिए व्यक्ति स्वयं और उसके कृत्य जिम्मेदार हैं। इन कृत्यों और जीवन के आचरणों को आदर्श रूप में जीना और उनकी नैतिकता-अनैतिकता, अच्छाई-बुराई आदि को स्वयं द्वारा विश्लेषित करना यही धर्म का मूल स्वरूप है।
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