धर्म मनुष्य को मनुष्य से अलग नहीं करता, बल्कि जोड़ता है,कैसे ?
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धर्म मनुष्य में मानवीय गुणों का सोत हैं जिसके आचरण से वह अपने जीवन को चरिथार्रत कर पाता है मानवता के लिए न तो परयापत संसाधनों की आवश्यकता होती हैं और न ही भावना की , बल्की सेवा भाव तो मनुष्य के आचरण में होना चाहिए जो गुण व भाव मनुष्य के आचरण में न आए उसका कोई मतलब नहीं रह जाता
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