धर्मनिरपेक्षता का मूलमंत्र क्या है?
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धर्मनिरपेक्षता के मूलत: दो प्रस्ताव है 1) राज्य के संचालन एवं नीति-निर्धारण में धर्म का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। 2) सभी धर्म के लोग कानून, संविधान एवं सरकारी नीति के आगे समान है।
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धर्मनिरपेक्षता का मूलमंत्र क्या है?
- राज्य एक धर्मनिरपेक्ष देश में किसी धर्म को बढ़ावा नहीं देता है। प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का स्वतंत्र रूप से प्रचार करने, अभ्यास करने और उसे मानने का अधिकार है।
- लोग अपनी धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भेदभाव नहीं करते हैं। धर्मनिरपेक्षता का लक्ष्य सभी प्रकार के धार्मिक प्रभुत्व को समाप्त करना है।
- धर्म और राज्य सत्ता का अलगाव धर्मनिरपेक्षता की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है। यह देश के लोकतांत्रिक कामकाज के लिए महत्वपूर्ण है।
- ग्रह पर लगभग हर देश में कई धार्मिक समूह होंगे।
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