-धर्मनिरपेक्षता से आप क्या समझते हैं?
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पंथनिरपेक्षता धार्मिक संस्थानों व धार्मिक उच्चपदधारियों से सरकारी संस्थानों व राज्य का प्रतिनिधित्व करने हेतु शासनादेशित लोगों के पृथक्करण का सिद्धान्त है। यह एक आधुनिक राजनैतिक एवं संविधानी सिद्धान्त है। धर्मनिरपेक्षता के मूलत: दो प्रस्ताव है 1 राज्य के संचालन एवं नीति-निर्धारण में मजहब का हस्तक्षेप नहीं होनी चाहिये।
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धर्मनिरपेक्षता का तात्पर्य धर्म को राज्य से अलग करना है। इसका अर्थ है कि राज्य को अपने नागरिकों के बीच धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। इसे किसी भी धर्म के अनुयायियों को न तो प्रोत्साहित करना चाहिए और न ही निराश करना चाहिए।
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