Hindi, asked by nainwalharish81, 6 months ago

धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।
जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह।।5।।​

Answers

Answered by franktheruler
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धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।

धरती की-सी रीत है, सीत घाम औ मेह।जैसी परे सो सहि रहे, त्यों रहीम यह देह

भावार्थ लिखिए

  • संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियों " रहीम के दोहे " से ली गई है , जो रहीम जी द्वारा रचित है।

  • प्रसंग : रहीम जी ने इन पंक्तियों में धरती तथा मनुष्य की सहन शक्ति का वर्णन किया है।

  • व्याख्या : रहीम जी कहते है कि मनुष्य की सहन शक्ति धरती के समान है।
  • जिस प्रकार धरती धूप , वर्षा सर्दी सब कुछ सह लेती है , उसी प्रकार मनुष्य का यह शरीर भी सारे दुख सह लेता है। हर प्रकार के विपत्ति रूपी मौसम को सह लेता है।
  • रहीम जी कहते है कि हमें किसी भी विपत्ति से घबराना नहीं चाहिए , हर मुसीबत का सामना करना चाहिए। भगवान ने इस प्रकृति को कष्ट से उभारना सिखाया है तो मनुष्य को भी कष्ट सहना सिखाया है। अतः हमें कभी भी कमजोर नहीं बनना चाहिए।

#SPJ2

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