धरती पे बढ़ता ताप पे एक निबंध
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Explanation:
प्रस्तावना:- ग्लोबल वार्मिंग हमारे देश के अलावा पूरे देश के लिए बहुत बड़ी समस्या है और यह धरती के वातावरण पर लगातार बढ़ रही है इस समस्या से ना केवल मनुष्य, धरती पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी को नुकसान पहुंचा रहे हैं और इस समस्या से निपटने के लिए प्रत्येक देश कुछ ना कुछ उपाय लगातार कर रहा है परंतु यह ग्लोबल वार्मिंग घटने की वजह निरंतर बढ़ ही रहा है ग्लोबल वार्मिंग के सबसे बड़े जिम्मेदार स्वम मानव है .उसकी गतिविधियां ही कुछ ऐसी है कि हर तरफ लगातार ग्लोबल वॉर्मिंग बढ़ रहा है मनुष्य की इन गतिविधियों से खतरनाक गैस कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, नाइट्रोजन ऑक्साइड, इत्यादी का ग्रीन हाउस गैसों की मात्रा में वातावरण में बढ़ोतरी हो रही है।
ग्लोबल वार्मिंग की परिभाषा:– धरती के वातावरण में तापमान के लगातार हो रही विश्वव्यापी बढ़ोतरी को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ:– पृथ्वी के निकट स्थित हवाई और महासागर की औसत तापमान में बीसवीं शताब्दी से हो रही वृद्धि और उसकी अनुमानित निरंतरता है पृथ्वी की सतह के निकट विश्व की वायु के औसत तापमान में 2500 वर्षों के दौरान 0.74 प्लस माइनस 0.8 डिग्री सेल्सियस(1. 33 प्लस माइनस 0. 32 डिग्री एफ)
ग्लोबल वार्मिंग का प्राकृतिक कारण:- ग्लोवल वार्मिंग के कारण होने वाले जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार ग्रीन हाउस गैसे हैं ग्रीन हाउस गैस बे गेसे होती हैं जो बाहर से मिल रही गर्मि यां उष्मा को अपने अंदर सोख लेती है ग्रीन हाउस गैसों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण गैस कार्बन डाइऑक्साइड है जिसे हम जीवित प्राणी अपने सास के साथ उत्सर्जन करते हैं पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी में वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर यहां का तापमान बढ़ाने में कारक बनती है कार्बन डाइऑक्साइड, वैज्ञानिकों के अनुसार इन गैसों का उत्सर्जन इसी तरह चलता रहा तो 21वीं शताब्दी में हमारे पृथ्वी का तापमान 3 डिग्री से 8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है अगर ऐसा हुआ तो इसके परिणाम बहुत घातक होंगे दुनिया के कई हिस्सों में बर्फ की चादर बिछी जाएगी।
समुद्र का जलस्तर बढ़ जाएगा ,समुद्र की इस तरह जलस्तर बढ़ने से दुनिया के कई हिस्से जल में लीन हो जाएंगे भारी तबाही मचेगी यह किसी विश्वयुद्ध या किसी “एस्टेरॉयड”के पृथ्वी से टकराने से होने वाली तवाही से भी ज्यादा भयानक तबाही होगी ।यह हमारी पृथ्वी के लिए बहुत ही हानिकारक सिद्ध होगा।
Answer:
aaj kal hamari parithbi ka taapmaan badta ja raha hai iski vajah badh rahi jansankhya ,pardushan , aadi ho sakta hai.
hum jis dharti par rahte hain usko hi nasht kar denge toh hum jaynge kahan .hum khayenge kya.hum log din prati din brikh kaat rahe hain aur iski vajah se baarish kam hoti hai aur hamri dharti ka taapmaan bad raha hai.
hume agar zinda rehna hai toh apni dharti ka khyal rakhna hoga.
baaki aap isko explain kar lena ashe se