धरती पर जीवन असंभव होता जा रहा है,तर्क सहित उत्तर दीजिए
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Explanation:
अब तक हुई वैज्ञानिक खोजों के अनुसार ब्रह्मांड अपनी उत्पत्ति के काल से अब तक फैल रहा है और फैलता ही जा रहा है। बिग बैंग के सिद्धांत को मानें तो न दिखाई देने वाले बिंदु में हुए भयानक विस्फोट से तारों की उत्पत्ति हुई और ये तारे उस अकल्पनीय उत्पन्न ऊर्जा से अभी तक जल रहे हैं। यह संसार ऊर्जा का ही खेल है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि उन्हीं तारों के बीच ठंडे हो गए छोटे-छोटे तारों में ही कहीं जलती हुई एक धरती भी थी, जो ब्रह्मांड के विराट रूप में मात्र एक कण के समान है। करीब-करीब 400 करोड़ साल पहले आग के गोले के समान इस धरती पर एस्टरायड की टक्कर से ऊपर अंतरिक्ष में आसपास बिखरे टुकड़ों के इकट्ठा होने से चांद बना।
चांद के बनने से धरती पर एक नए युग की शुरुआत हुई। यह युग था धरती पर मौसम की शुरुआत का युग। चांद धरती को स्थिर रखता है और उसके मौसम को भी बनाए रखता हैं। चांद के होने के कारण ही धरती अपनी धुरी पर अच्छे से घूम रही है। दरअसल, जिस टक्कर से चांद बना था उसकी वजह से धरती एक और मुड़ गई और उसकी वजह से धरती को एक और चीज मिली वह थी मौसम।
धरती पर जीवन के विकास के लिए मौसम का होना बहुत ही जरूरी है। यदि बदलता हुआ मौसम नहीं होगा तो जीवन संभव नहीं होगा। चांद की ग्रेविटी के कारण धरती के घूमने की रफ्तार भी कम हुई जिससे हमारे दिन 6 के बजाए 24 घंटे के होने लगे। 440 करोड़ साल पहले धरती पर इतनी गर्मी थी कि तरल पानी रह ही नहीं सकता था, लेकिन वायुमंडल में पानी की भाप थी।
कई लाख साल पहले जब धरती ठंडी हुई तो बारिश होने लगी जिससे तालाब बने, झीलें बनीं और फिर महासागर बने। 380 करोड़ साल पहले हमारे पास चांद था, समुद्र था लेकिन वह वैसा नहीं था जैसा कि आज हम देख रहे हैं इसीलिए जीवन की शुरुआत के लिए अभी और वक्त और बदलाव की जरूरत थी।