धवनी कविता का भावार्थ लिखे
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मनोहारी सवेरा की भांति यह समय उनके जीवन में प्रकट होगा। ध्वनि कविता का भावार्थ- ध्वनि कविता में प्रकृति कहती है कि मैं वन-उपवन से नींद में अलसाई रहने की इच्छा को खींच लूंगी अर्थात उनमें नवीन विचारों का संचार कर दूंगी। जिस प्रकार मैं सदैव नवीन बनी रहती हूं उसी प्रकार उनमें भी नव जीवन रूपी अमृत की धारा उत्पन्न कर दूंगी।
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Bete Mauj Kardi
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Waah Bete Waah
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