thos padarth par usma ka kya prabhav padta hai
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सूर्य, ऊष्मा का महान स्रोत है और पृथ्वी को ऊष्मा सूर्य से ही मिलती है। सूर्य से पृथ्वी पृथ्वी पर ऊष्मा अविरत आती रहती है।]] ऊष्मा (heat) या ऊष्मीय ऊर्जा (heat energy), ऊर्जा का एक रूप है जो ताप के कारण होता है। ऊर्जा के अन्य रूपों की तरह ऊष्मा का भी प्रवाह होता है। किसी पदार्थ के गर्म या ठंढे होने के कारण उसमें जो ऊर्जा होती है उसे उसकी ऊष्मीय ऊर्जा कहते हैं। अन्य ऊर्जा की तरह इसका मात्रक भी जूल (Joule) होता है पर इसे कैलोरी (Calorie) में भी व्यक्त करते हैं।
ऊष्मा,एक वस्तु से दूसरी वस्तु में कुछ प्रकार के ऊष्मीय अन्तर्क्रियाओं (thermal interactions) के द्वारा स्थानान्तरित होती है। उदाहरण के लिए अधिक ताप वाली कोई लोहे की छड़ पानी में डाली जाय तो छड़ से जल में ऊष्मीय ऊर्जा का स्थानान्तरण होगा। पूरे ब्रह्माण्ड में ऊष्मा की महती भूमिका है। उष्मा की प्रकृति का अध्ययन तथा पदार्थों पर उसका प्रभाव जितना मानव हित से संबंधित है उतना कदाचित् और कोई वैज्ञानिक विषय नहीं। उष्मा से प्राणिमात्र का भोजन बनता है। वसन्त ऋतु के आगमन पर उष्मा के प्रभाव से ही कली खिलकर फूल हो जाती है तथा वनस्पति क्षेत्र में एक नए जीवन का संचार होता है। इसी के प्रभाव से अंडे से बच्चा बनता है। इन कारणों से यह कोई आश्चर्य की बात नहीं कि पुरातन काल में इस बलवान्, प्रभावशील तथा उपयोगी अभिकर्ता से मानव प्रभावित हुआ तथा उसकी पूजा-अर्चना करने लगा। कदाचित् इसी कारण मानव ने सूर्य की पूजा की। पृथ्वी पर उष्मा के लगभग संपूर्ण महत्वपूर्ण प्रभावों का स्रोत सूर्य है। कोयला, और पेट्रोलियम, जिनसे हमें उष्मा प्राप्त होती है, प्राचीन युगों से संचित धूप का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ऊष्मा, भौतिकी की एक महत्वपूर्ण उपशाखा है जिसमें ऊष्मा, ताप और उनके प्रभाव का वर्णन किया जाता है। प्राय: सभी द्रव्यों का आयतन तापवृद्धि से बढ़ जाता है। इसी गुण का उपयोग करते हुए तापमापी बनाए जाते