tinke ki atmakatha likhiye. please twll
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तिनके की आत्मकथा
मैं तिनका हूं। इस विशाल प्रकृति में मेरा बहुत ही छोटा वजूद है। लेकिन फिर भी मैं अनगिनत पशुओं का पेट भरता हूं। इस धरा को हरा भरा रखता हूं।
जो घमंडी लोग हैं वह मुझे तुच्छ समझते हैं और मुझे अपने पांव के तले कुचल देते हैं उनको सबक सिखाने के लिए कभी-कभी मैं हवा के साथ उड़ कर उनकी आंख में जाकर उनको सीधा करता हूं। उन्हें यह सीख देता हूं कि तुम प्रकृति के बनाए गए एक तिनके के आगे विवश हो।
तिनके की आत्मकथा
मेरा जन्म एक प्रख्यात क्रिकेट मैदान में हुआ | जन्म उपरांत ही रौंद दिया गया | हर मैच के दौरान कई बार मेरे ऊपर लोगों ने पाँव रखे | फिर कितनी बार मुझे काटा भी गया | मेरे साथ बहुत ही अत्याचार हुआ | पर मैंने कभी हार नहीं मानी | हर मुसीबत का सामना जी जान से किया | सब का भला ही करता रहा |
जब काट दिया गया तो कूड़े करकट के साथ फेंक दिया गया | किसी तरह वर्षा के पानी के साथ बह कर नदी में पहुंचा | वहां भी एक जीव के काम आया | एक तितली उड़ते-उड़ते हवा के झोंके के साथ नदी में गिर गई | मैं तुरंत वहां पहुंचा और उसको सहारा दिया | मेरा अंत सागर में हुआ |