Sociology, asked by Brainly100, 1 year ago

Today's Society is not safe for Girls. Although there are several steps taken on it still we can find Girls giving up their Life due to Demons Moving in Our Society.

Highlight this topic with a self Composed Poem against rapist who made this society a living hell.
And at the end tell How you can take a step ahead on this practically. ​

Answers

Answered by vikram991
473

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Topic : Against Girl Rapist

फिर रो पड़ी थी धरती फिर रो पड़ा था अम्बर !

बेसुध सड़क किनारे हाय मैं पड़ी दिगम्बर !

चिर नींद को चली हूं ! अपना चीर खोकर

आदम की जात को मैं नंगा कर चली हूं

ऐ देश के तिरंगे एक रंग ओर ले ले

अपने लहू से मैं तुझे चौरंगा कर चली हूं !

मैं आह में पिघली थी ! वो शाम क्यों ढली थी !

घुप घोर अंधेरों में ! जब जीते जी जली थी !!

क्या भूख शरीरों की ओर चिड़ियों को खाएंगी ?

या प्यास रक्त की ये ! अब रोक दी जाएगी ?

मैं अपने घर का आंगन बैरंगा कर चली हूं!

अपने लहू से मैं तुझे चौरंगा कर चली हूं !!

ऐ देश के तिरंगे एक रंग ओर ले ले !

अपने लहू से मैं ...................??

ये न होता था कभी भी राम तेरे देश में

भेड़िये दर दर फिरे हैं मेमनों के भेष में

नारियों की आबरू लूटे जलाए जिस्म को

अब अवतरण आपका हो पुनः मेरे देश में

कृष्ण का सुदर्शन हो कोदंड श्री राम का

सभी लो अवतार पुनः धरो शस्त्र काम का

कर दो संहार रुंड मुंड खंड खंड करो

दुष्टों का नाश करो अंत कोहराम का

रोई चीखी चिल्लाई ,सहमी और डरी होगी ।"रोई चीखी चिल्लाई ,सहमी और डरी होगी ।मरने से पहले वह लड़की ,कितनी बार मरी होगी ।।"

Everyone Should Always Respect Girls ❤


ShivamKashyap08: Perfectly answered !! :)
Brainly100: Great Answer! superb!!
ShuchiRecites: बहुत सुंदर मेरे भाई
αmαn4чσu: Heart Touching Poem ❤
Anonymous: Great :)
Anonymous: Vikram.. amazing poem. (No words to express how beautiful the poem is) & it's first line.. fully heart touching. I seriously, love it❤
StarrySoul: Just Fabulous Vikram!❤️ The way you presented it... Just Loved it!
Anonymous: Fantastic poem :claps:
Answered by ShuchiRecites
344

मै लड़की हूं

मै लड़की हूं, इसलिए डरती हूं।

थोड़ा सेहम जाती हूं मै कभी...

जब मेरे पीछे लड़के लग जाते हैं।

नजर झुका लेती हूं मै कभी ....

जब सब मर्द मुझे घूरकर जाते है।

मै साड़ी और सलवार - कमीज़ पहनती हूं,

फिर भी कुछ मर्द मुझे अपशब्द दे जाते हैं।

मै पिता के साथ निकलती हूं जब तब भी,

कुछ लोग जन्मूचके धक्का देकर जाते हैं।।

मै जानती हूं कुछ बिगड़ी लड़कियों को जो,

लड़कों के साथ संबंध बनके ऐश करती है।

पर मै आज सोच रही हूं उस लड़की का क्या,

जो परिवार का पेट भरने घर से निकली है।

लड़की आवारा सही पर बच्ची तो नादान है।

फिर भी क्यों कुछ मर्द उसके लिए हैवान है।।

क्यों पूजा करते हो दुर्गा और आम्मा की तुम,

जब तुम्हारे लिए मा एक शरीर का सामान है।

मै अभी तो घर में रहती हूं, चारो ओर दीवार है,

अभी तो बच्ची हूं इसलिए साथ यह परिवार है।

कल जब मै घर से निकलूं तो डर ऐसा ही होगा,

प्रश्न हर मर्द, क्या कल मेरे साथ भी ऐसा होगा?

मै लड़की हूं, इसलिए डरती हूं।

क्या रेप मर्द का अधिकार है ?

सबसे पूछती मै एक सवाल हूं,

या लड़की होना एक दुश्वार है?

मेरा यकीन है हर मर्द ऐसा नहीं, कई मर्द महिला से भी भले देखे है। बस मर्दानगी के नाम पर बलात्कार करने वालों की सज़ा मौत से बढ़कर होनी चाहिए

जय हिन्द!


αmαn4чσu: Awesome poem
VishalSharma01: Mind blowing writting :)
ShivamKashyap08: Awesome as always!! Hrithik is always on fire :)
Brainly100: Great! Answer keep it up. ;)
Anonymous: Extraordinary answer :)
ShuchiRecites: Thanks Roshi, Dr, Dhruv, 100 and Suji bhaiya ;-)
Anonymous: Perfect poem❤
Rythm14: Beautiful shuzz ❤❤
StarrySoul: Shuchicious Poem Di! :D ❤️
Anonymous: Superb Boss :claps:
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