Translation in Hindi of Chapter 11 class 8 Sanskrit book ruchira
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उत्तर -> “संसार सागरस्य नायका:”
कौन थे वो बिना नाम के?
सैकड़ों हजारों तालाब अचानक ही शून्य से प्रकट नहीं हुए। यह तालाब ही यहां संसार के सागर हैं। इनके आयोजन के लिए पर्दे के पीछे बनवाने वालों की इकाई और बनाने वालों की दहाई थी। यह इकाई और दहाई मिलकर के सैकड़ों अथवा हजारों बनाते थे। परंतु पिछले 200 वर्षों में नई पद्धति के द्वारा समाज ने जो कुछ पढ़ा। पढ़े हुए उस समाज के द्वारा इकाई दहाई और हजारों इत्यादि हुए सारे शून्य में परिवर्तित हो गए। इस नए समाज के मन में यह भी इच्छा उत्पन्न नहीं हुई कि हम से पहले इस तरह के तालाबों को कौन बनाते थे। इस तरह के कार्यों को करने के लिए ज्ञान की जो नई तकनीक विकसित हुई है, उस तकनीक से पहले भी इस तरह के कार्यों को किया गया इन कार्यों को मापने के लिए किसी के द्वारा भी प्रयास नहीं किया गया।
आज जो बिना नाम वाले हैं, पहले वे बहुत प्रसिद्ध थे। संपूर्ण देश में तालाब बनाते थे, बनवाने वाले भी संपूर्ण देश में रहते थे।