Translation in Hindi of संस्कृत chapter 12 class 7th CBSE
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pure language is the answer
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उत्तरम-> 1. विद्या एक ऐसा धन है जिसे ना चोर चुरा सकता है ना राजा के द्वारा छीना जा सकता है और ना भाइयों में बांटा जा सकता है और ना ही भारी होता है। खर्च करने पर लगातार बढ़ता है विद्याधन सभी धनों में प्रधान धन है।
2. विद्या मनुष्य का छिपा हुआ गुप्त धन है। विद्या भोग कारी है और यश सुख कारी है विद्या गुरुओं का भी गुरु है। विदेश जाने पर विद्या मित्र है विद्या महान देवता है। निश्चित रूप से विद्या राजाओं में पूजी जाती है धन नहीं, विद्या से हीन मनुष्य साक्षात पशु है।
3. मनुष्य को ना तो बाजूबंद सुशोभित करता है और ना ही चंद्रमा के समान उज्जवल हार, न स्नान, न चंदन का लेप, न फूल, ना सजी हुई चोटी। मनुष्य को एक वाणी ही सुशोभित करती है जो संस्कारों को धारण करती हो। वाणी रूपी आभूषण के आगे संपूर्ण आभूषण नष्ट हो जाते हैं वाणी ही आभूषण है।
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