Tug of war essay in hind
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कुछ दिन पूर्व हमारे स्कूल और इस्लामिया स्कूल के बीच रस्साकशी का एक मैच हुआ । श्री सुधीर मोहन को रेफरी बनाया गया । यह मैच हमारे स्कूल के खेल मैदान में हुआ । यह बड़ा रोचक मैच था और साथ ही बड़ा उत्तेजक भी ।
दोनों टीमें दोनों टीमों का पलडा बराबरी पर लग रहा था । विरोधी पक्ष के खिलाडी देखने में कुछ भारी लग रहे थे । लेकिन हमारी टीम के खिलाड़ी भी बडे उत्साही थे । वे रस्साकशी की खूब प्रेक्टिस कर चुके थे और अनेक दाँव-पेच जानते थे ।
मैच का प्रारंभ:
रस्साकशी ठीक पाँच बजे शाम को शुरू हुई । दोनों ही टीमें अपना-अपना रस्सा खींचने की जीतोड़ कोशिश कर रही थी । बड़ी कठिनाई से एक-दो इंच रस्सा एक ओर खिंच पाता दूसरी टीम उसे पुन: अपनी ओर खींच लेती । दोनों ही टीमें अपनी समूची शक्ति लगा रही थीं । जरा-सा एक ओर रस्सा खिंचने पर दर्शक उत्तेजित होकर उत्साह बढ़ाते । दूसरी तरफ रस्सा खिसकने पर उस टीम के समर्थक दर्शक बड़ा शोर मचा रहे थे ।
कुछ दर्शक अपने रूमाल हिला-हिला कर अपनी टीम का उत्साह बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे । दोनों टीमों के कोच भी अपने-अपने खिलाड़ियों को तरह-तरह के आदेश दे रहे थे, जैसे ‘रेस्ट करो’, ‘खींचो’ , ‘हाथ बदलो’ अथवा ‘झटका देकर एकदम खींचो’ आदि ।
मैच का वर्णन:
दोनों ही ओर के लड़के अपनी समूची ताकत रस्सा खींचने में लगा रहे थे । रस्सा कई मिनटों तक बीच में ही टिका रहता । इस दृश्य से सभी दर्शक बड़े प्रसन्न और रोमांचित हो रहे थे । यह मैच वास्तव में लड़कों के पौरुष का प्रदर्शन था । सभी अपनी जान की बाजी अंत तक लगाए रखने का संकल्प ले चुके थे ।
लगभग नौ-दस मिनट के बाद ऐसा लगा कि हमारी टीम के खिलाड़ियों की साँस उखड़ने लगी है । मालूम होता था कि वे हार जायेंगे । लेकिन इतने में ही हमारे कैप्टन ने अपने साथियों को ललकारा और उन्हें एक अंतिम प्रयास करने के लिए प्रेरित किया । उसने उन्हें स्कूल के नाम का वास्ता दिलाया ।
इसका तत्काल असर दिखाई पड़ा । उनकी उखड़ी हुई हिम्मत बैध गई । जरा-सी सांस लेकर सभी ने एक साथ मिलकर बड़े जोर का हल्ला बोल दिया । कुछ क्षणों तक रस्सी वैसी ही टिकी रही । अब विरोधी टीम के हौसले पस्त होते दीख पड़े । उनकी सांस उखड़ने लगी और उनके पैर धरती पर जमे न रह सके ।
विरोधी टीम विरोधी के कप्तान ने भी उन्हें बड़े जोर से ललकारा और उनका उत्साह बढ़ाने का प्रयास किया । हमारी टीम के खिलाड़ी विरोधियों की कमजोरी को ताड़ गए और अपनी ओर रस्सा खींचने में और जोर लगाने लगे ।
जल्दी ही हमारी टीम के खिलाड़ी रस्सा तेजी से अपनी ओर खींचने लगे । कई बार विरोधियों ने पैर जमाने की भरसक कोशिश की, लेकिन वे कामयाब न हो पाये । हमारी टीम जीत गई । इस्लामिया टीम का अंतिम खिलाड़ी एक बहुत मोटा लड़का था जिसकी कमर में रस्सा लिपटा हुआ था ।
उसे रस्से के साथ जमीन पर फिसलते देख दर्शक बडी जोर से हंसने लगे । इस तरह मध्य रेखा तक वह बेचारा फिसलता रहा । दोनों ही टीमों के खिलाड़ी बुरी तरह थक कर हाँफ रहे थे । उनके हाथ एकदम लाल थे । एक-दो के हाथ रस्से की रगड़ से छिल भी गए थे । हमने उनके हाथों को रगडा और उनके बदन से मिट्टी झाड कर उन्हें बैठाया । उन्हें एक-एक गिलास दूध पीने के लिए दिया गया ।
उपसंहार:
हमारी जीत पर चारों तरफ से हर्षध्वनि हुई । हम सब बड़ी प्रसन्नता से जीत की खुशियाँ मनाते मैदान से रवाना हुए ।
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दोनों टीमें दोनों टीमों का पलडा बराबरी पर लग रहा था । विरोधी पक्ष के खिलाडी देखने में कुछ भारी लग रहे थे । लेकिन हमारी टीम के खिलाड़ी भी बडे उत्साही थे । वे रस्साकशी की खूब प्रेक्टिस कर चुके थे और अनेक दाँव-पेच जानते थे ।
मैच का प्रारंभ:
रस्साकशी ठीक पाँच बजे शाम को शुरू हुई । दोनों ही टीमें अपना-अपना रस्सा खींचने की जीतोड़ कोशिश कर रही थी । बड़ी कठिनाई से एक-दो इंच रस्सा एक ओर खिंच पाता दूसरी टीम उसे पुन: अपनी ओर खींच लेती । दोनों ही टीमें अपनी समूची शक्ति लगा रही थीं । जरा-सा एक ओर रस्सा खिंचने पर दर्शक उत्तेजित होकर उत्साह बढ़ाते । दूसरी तरफ रस्सा खिसकने पर उस टीम के समर्थक दर्शक बड़ा शोर मचा रहे थे ।
कुछ दर्शक अपने रूमाल हिला-हिला कर अपनी टीम का उत्साह बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे । दोनों टीमों के कोच भी अपने-अपने खिलाड़ियों को तरह-तरह के आदेश दे रहे थे, जैसे ‘रेस्ट करो’, ‘खींचो’ , ‘हाथ बदलो’ अथवा ‘झटका देकर एकदम खींचो’ आदि ।
मैच का वर्णन:
दोनों ही ओर के लड़के अपनी समूची ताकत रस्सा खींचने में लगा रहे थे । रस्सा कई मिनटों तक बीच में ही टिका रहता । इस दृश्य से सभी दर्शक बड़े प्रसन्न और रोमांचित हो रहे थे । यह मैच वास्तव में लड़कों के पौरुष का प्रदर्शन था । सभी अपनी जान की बाजी अंत तक लगाए रखने का संकल्प ले चुके थे ।
लगभग नौ-दस मिनट के बाद ऐसा लगा कि हमारी टीम के खिलाड़ियों की साँस उखड़ने लगी है । मालूम होता था कि वे हार जायेंगे । लेकिन इतने में ही हमारे कैप्टन ने अपने साथियों को ललकारा और उन्हें एक अंतिम प्रयास करने के लिए प्रेरित किया । उसने उन्हें स्कूल के नाम का वास्ता दिलाया ।
इसका तत्काल असर दिखाई पड़ा । उनकी उखड़ी हुई हिम्मत बैध गई । जरा-सी सांस लेकर सभी ने एक साथ मिलकर बड़े जोर का हल्ला बोल दिया । कुछ क्षणों तक रस्सी वैसी ही टिकी रही । अब विरोधी टीम के हौसले पस्त होते दीख पड़े । उनकी सांस उखड़ने लगी और उनके पैर धरती पर जमे न रह सके ।
विरोधी टीम विरोधी के कप्तान ने भी उन्हें बड़े जोर से ललकारा और उनका उत्साह बढ़ाने का प्रयास किया । हमारी टीम के खिलाड़ी विरोधियों की कमजोरी को ताड़ गए और अपनी ओर रस्सा खींचने में और जोर लगाने लगे ।
जल्दी ही हमारी टीम के खिलाड़ी रस्सा तेजी से अपनी ओर खींचने लगे । कई बार विरोधियों ने पैर जमाने की भरसक कोशिश की, लेकिन वे कामयाब न हो पाये । हमारी टीम जीत गई । इस्लामिया टीम का अंतिम खिलाड़ी एक बहुत मोटा लड़का था जिसकी कमर में रस्सा लिपटा हुआ था ।
उसे रस्से के साथ जमीन पर फिसलते देख दर्शक बडी जोर से हंसने लगे । इस तरह मध्य रेखा तक वह बेचारा फिसलता रहा । दोनों ही टीमों के खिलाड़ी बुरी तरह थक कर हाँफ रहे थे । उनके हाथ एकदम लाल थे । एक-दो के हाथ रस्से की रगड़ से छिल भी गए थे । हमने उनके हाथों को रगडा और उनके बदन से मिट्टी झाड कर उन्हें बैठाया । उन्हें एक-एक गिलास दूध पीने के लिए दिया गया ।
उपसंहार:
हमारी जीत पर चारों तरफ से हर्षध्वनि हुई । हम सब बड़ी प्रसन्नता से जीत की खुशियाँ मनाते मैदान से रवाना हुए ।
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dipikakumari:
nice.
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Hame Hamesha mil jul kar rehna chahiye jisse Hamari Ekta badhti hai aur koi bhi kaam hum aasani se kar sakte hain Ekta banne Se Hum Apne Jeevan mein aap aa sakte hain koi bhi jhagda Ek Tha ke sath se tod sakte hain .
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