Tum Desh Ki Seva kis Prakar karna chahoge
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देश के प्रति मेरी सेवा-भावना पर निबन्ध | Essay on How I Can Best Serve My Country in Hindi!
प्रत्येक देश के नागरिक के मन में अपने देश के लिए सर्वस्व अर्पण करने की भावना होती है । उसमें मातृभूमि के ऋण को चुकाने के लिए बलिदान की भावना होनी चाहिए ।
इस उद्देश्य की प्राप्ति केवल सेना मैं भर्ती होकर सीमा सुरक्षा के द्वारा ही नहीं होती । कई और तरीकों से भी अपनी योग्यता, रुचि और अभिरुचि के अनुरूप व्यक्ति देश के बहुमुखी विकास में योगदान दे सकता है । मेरा मन भी देश-प्रेम की भावना से ओत-प्रोत है और मैं अपनी योग्यता और कौशल के द्वारा देश को अपनी सेवाएँ अर्पित करने की भावना रखता हूँ ।
मैं प्रशासनिक अधिकारी बनने की तैयारी में जुटा हुआ हूँ । मैं देश में व्याप्त असमानता और अन्याय को समाप्त करने के प्रयासों के रूप में देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करुँगा । किसी प्रकार के राजनैतिक और सामाजिक प्रपंचों से मुक्त आधुनिक एवं वैज्ञानिक कुशलताओं पर आधारित हमारा देश इक्कीसवीं सदी में आगे बढ़ेगा । मैं पूरे मन से इस ओर प्रयासरत रहूँगा ।
अपने देश से अशिक्षा की समस्या को समाप्त करने के लिए मैं आरंभिक शिक्षा को अनिवार्य घोषित कर दूँगा । शिक्षा के सार के साथ-साथ मैं नैतिक मूल्यों, सामाजिक उन्नति, अस्पृश्यता निवारण, अंधविश्वासों एवं रूढ़ियों की समाप्ति और राष्ट्रीय एकता पर बल दूँगा । किताबी अध्ययन के अलावा मैं खेल तथा अन्य गतिविधियों पर भी जोर दूँगा ताकि हमारे युवक-युवतियों में स्वस्थ खेल-भावना का प्रसार हो ।
निर्धन वर्ग को सभी आवश्यक-सुविधाएँ उपलब्ध हों, यह मेरा मुख्य उद्देश्य होगा । लोगों के मन से सामाजिक कुरीतियों और बंधनों का निवारण करने में सफल होने पर ही मेरा जीवन सार्थक होगा । सामान्य जीवन में स्वास्थ्य, स्वच्छता और सफाई आवश्यक है । मैं आधुनिक तकनीक के लाभों को अपने देशवासियों को पहुँचाने का प्रयास करूँगा ।
तत्पश्चात, लोगों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति पूर्ण सचेत होना चाहिए । कर्तव्य भावना के बिना अधिकार की मांग निरर्थक है । यदि इस समस्या का समाधान कर लिया जाए, तो देश की कई समस्याएं अपने आप हल हो जाएँगी क्योंकि आज व्यक्ति अपने अधिकारों की कामना तो करता है, लेकिन कर्तव्य नहीं निभाना चाहता ।
यदि समाज में कर्तव्य-भावना का प्रसार हो जाएगा, तो हिंसा, असन्तोष, लूटमार, हत्याओं की घटनाएँ कम हो जाएंगी । मैं इस उद्देश्य की प्राप्ति की ओर प्रयासरत रहूँगा । यदि मैं अपने जीवन-काल में ही इन लक्ष्यों की प्राप्ति में सफल हो जाऊँ, तो अपने जीवन को धन्य समझूँगा ।
Mai desh ki seva un garib parivar jo roj rat ko bhuke sote hai mai unah agar bhojan deker desh ki seva karna chhaunge.