Hindi, asked by nadim5177, 1 year ago

tumhari yeh danturit muskan ka kavya saundarya

Answers

Answered by Aditya070303
21
कवि का बच्चे की मुसकान के प्रति सौंदर्य को निम्नलिखित बिंबो के माध्यम से व्यक्त किया जा सकता है -

(1) बच्चे की मुसकान इतनी सुंदर है कि मृतक में भी जान डाल दे।

"मृतक में भी डाल देगा जान।"

(2) कवि ने बालक के मुसकान की तुलना कमल के पुष्प से की है। जो कि तालाब में न खिलकर कवि की झोंपड़ी में खिल रहे हैं।

"छोड़कर तालाब मेरी झोपड़ी में खिल रहे जलजात।"

(3) बच्चे की मुसकान से प्रभावित होकर पाषाण (पत्थर) भी पिघलकर जल बन जाएगा।

"पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण।"

(4) कवि बच्चे की मुसकान की तुलना शेफालिका के फूल से करता है।

"झरने लग पड़े शेफालिका के फूल।"

Hope it helps you...
#be_brainly...
Answered by shishir303
8

                                 ये दंतुरित मुस्कान

“यह दंतुरित मुस्कान” कविता कवि ‘नागार्जुन’ द्वारा लिखी गई एक कविता है, जिसमें नागार्जुन ने एक बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य के बारे में वर्णन किया है। कवि कहते हैं कि बच्चे से कहते हैं कि तुम्हारी यह प्यारी मुस्कुराहट इतनी प्यारी और मनमोहक है कि यह मुर्दों में भी जान डाल देती है। जब बच्चा खेलने के बाद धूल से सना हुआ शरीर लेकर झोपड़ी में आता है तो ऐसा लगता है कि सैकड़ों फूल खिल गए हो। बच्चों के चेहरे पर भीनी भीनी मुस्कान पाषाण हृदय आदमी को पिघला देती है। उनकी भोली भाली मासूम मुस्कान से कठोर से कठोर हृदय व्यक्ति भी कोमल और मधुर स्वभाव का बन जाता है।

कवि ने इस कविता में बच्चों की मासूमियत और उनकी भोली भाली मुस्कान का बड़े ही रोचक तरीके से वर्णन किया है। उन्होंने बच्चों की निश्छल मुस्कान को जिस सुंदरता से दर्शाया है है, प्रशंसा योग्य है। कवि का कहना है कि बच्चों की वह अनमोल मुस्कान झोपड़ी में रहने वाले निर्धन व्यक्ति को भी महलों का एहसास करा देती है। ऐसा लगता है कि चारों तरफ सुंदर खुशबू वाले फूल बिखर गए हों। कवि ने इस कविता में बच्चों की मासूमियत और उनकी भोली मुस्कुराहट का वर्णन कर कविता में जान डाल दी है।

काव्य सौंदर्य की दृष्टि से इस कविता में अद्भुत रस और अतिश्योक्ति अलंकार का सुंदरता से  प्रयोग किया गया है।

Similar questions