Science, asked by faujdarshivam68, 8 months ago

TV ki bimari kiske tareke se dusare ko lagti h​

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Answered by kittu3978
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Answer:

टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो ट्यूबरक्‍युलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है। इस बीमारी का सबसे अधिक प्रभाव फेफडों पर होता है। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटरस, मुंह, लिवर, किडनी, गले आदि में भी टीबी हो सकती है। बताते चलें कि सबसे कॉमन फेफड़ों का टीबी है, जो कि हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलती है। टीबी के मरीज के खांसने और छींकने के दौरान मुंह-नाक से निकलने वालीं बारीक बूंदें इन्हें फैलाती हैं। फेफड़ों के अलावा दूसरी कोई टीबी एक से दूसरे में नहीं फैलती। टीबी खतरनाक इसलिए है क्योंकि यह शरीर के जिस हिस्से में होती है, सही इलाज न हो तो उसे बेकार कर देती है। इसलिए टीबी के आसार नजर आने पर जांच करानी चाहिए।

खांसी आना

टीबी सबसे ज्यादा फेफड़ो को प्रभावित करती है, इसलिए शुरुआती लक्षण खांसी आना है। पहले तो सूखी खांसी आती है लेकिन बाद में खांसी के साथ बलगम और खून भी आने लगता है। दो हफ्तों या उससे ज्यादा खांसी आए तो टीबी की जांच करा लेनी चाहिए।

पसीना आना

पसीना आना टीबी होने का लक्षण है। मरीज को रात में सोते समय पसीना आता है। वहीं, मौसम चाहे जैसा भी हो रात को पसीना आता है। टीबी के मरीज को अधिक ठंड होने के बावजूद भी पसीना आता है।

बुखार रहना

जिन लोगों को टीबी होती है, उन्हें लगातार बुखार रहता है। शुरुआत में लो-ग्रेड में बुखार रहता है लेकिन बाद संक्रमण ज्यादा फैलने पर बुखार तेज होता चला जाता है।

थकावट होना

टीबी के मरीज की बीमारी से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है। जिसके कारण उसकी ताकत कम होने लगती है। वहीं, मरीज के कम काम करने पर अधिक थकावट होने लगती है।

वजन घटना

टीबी हो जाने के बाद लगातार वजन घटने लगता है। खानपान पर ध्यान देने के बाद भी वजन कम होता रहता है। वहीं, टीबी के मरीज की खाने को लेकर रुचि कम होने लगती है।

सांस लेने में परेशानी

टीबी हो जाने पर खांसी आती है, जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होती है। अधिक खांसी आने से सांस भी फूलने लगती है।

बचाव के तरीके

1- 2 हफ्ते से ज्यादा खांसी होने पर डॉक्टर को दिखाएं। दवा का पूरा कोर्स लें। डॉक्टर से बिना पूछे दवा बंद न करे।

2- मास्क पहनें या हर बार खांसने या छींकने से पहले मुंह को पेपर नैपकिन से कवर करें।

3- मरीज किसी एक प्लास्टिक बैग में थूके और उसमें फिनाइल डालकर अच्छी तरह बंद कर डस्टबिन में डाल दें। यहां-वहां नहीं थूकें।

4- मरीज हवादार और अच्छी रोशनी वाले कमरे में रहे। साथ ही एसी से परहेज करे।

5- पौष्टिक खाना खाए, एक्सरसाइज व योग करे।

6- बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, तंबाकू, शराब आदि से परहेज करें।

7- भीड़-भाड़ वाली और गंदी जगहों पर जाने से बचें।

8- बच्चे के जन्म पर BCG का टीका लगवाएं।

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