Hindi, asked by simiprachi4, 1 month ago

Types of Nirgun Kavya Dhara​

Answers

Answered by ritikasingh9940
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Answer:

इस इकाई के अन्तर्गत आप निर्गुण काव्य धारा की ज्ञानमार्गी (संत) शाखा का अध्ययन करेंगे। इस इकाई को पढ़ने को बाद आप :

संत काव्य की पृष्ठभूमि की चर्चा कर सकेंगे;

संतमत के सिद्धान्त का परिचय प्राप्त कर उसके स्वरूप को समझा सकेंगे;

संत काव्य की विशेषताओं का परिचय दे सकेंगे;

संत काव्य की प्रवृत्तियों को बता सकेंगे;

संत काव्य के वस्तु एवं शिल्प पक्ष की जानकारी दे सकेंगे; और

संत काव्य धारा के महत्व का प्रतिपादन कर सकेंगे।

यह इकाई निर्गुण ज्ञानमार्गी संत काव्यधारा से संबंधित है। हिन्दी साहित्य के सन्त कवियों की ज्ञानाधारित निष्पक्षता, न्यायप्रियता, भक्तिभावना और काव्यधारा को दृष्टिगत कर इसे ज्ञानमार्गी काव्यधारा की संज्ञा दी जाती है। इस काव्यधारा के लिए ‘संत काव्यधारा’ और ‘निर्गुण काव्यधारा’ नाम भी दिए गए हैं। भक्तिकाल की विषम राजनीतिक एवं सामाजिक परिस्थितियों में आशा की ज्योति बिखेरने का कार्य संत काव्यधारा के कवियों ने किया। उन्होंने तत्कालीन धार्मिक मान्यताओं को अपने जीवन के व्यापक अनुभव के आधार पर जनसामान्य के लिए बोधगम्य बनाया। देखा जाए तो ज्ञानाश्रयी काव्यधारा के उद्भव में युगीन परिवेश की सबल भूमिका रही है।

Answered by MohammadFazil123
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Answer:

निर्गुण भक्ति/काव्य धारा को दो भागों में बांटा गया है -

(क) संत

(ख)‌‌ सूफी

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