उच्च न्यायालय के संगठन एवं क्षेत्राधिकार को स्पष्ट कीजिए।
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सर्वोच्च न्यायालय भारत की एकीकृत न्यायपालिका का सबसे उच्च न्यायालय होता है। सर्वोच्च न्यायालय के बाद राज्यों के ‘उच्च न्यायालय’ का स्थान आता है। राज्य के स्तर पर सबसे बड़ा न्यायालय ‘उच्च न्यायालय’ है, उसके बाद जिला एवं सत्र न्यायालय आते हैं। उच्च न्यायालय के मुख्य एवं अन्य न्यायधीशों नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार निम्न प्रकार हैं...
(1) संसद एवं राज्य विधान सदस्यों के निर्वाचन संबंधी विवाद में उच्च न्यायालय निर्णय कर सकता है।
(2) मौलिक अधिकार, वसीयत विभाग से संबंधित विवाद, कंपनी के विवादों से संबंधित विवाद आदि का निपटारा भी उच्च न्यायालय करता है।
(3) उच्च न्यायालय बंदी प्रत्यक्षीकरण परमादेश, प्रतिषेध, उत्प्रेषण, अधिकार पृच्छा याचिका जारी कर सकता है। जहां सर्वोच्च न्यायालय केवल मौलिक अधिकारों के लिए याचिका जारी कर सकता है, वहीं उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों के साथ-साथ अन्य मामलों की याचिका जारी कर सकता है।
(4) अपीलीय अधिकारी — उच्च न्यायालय के अधिकार को निम्न भागों में बांटा जा सकता है..
(अ) सिविल अपीलीय अधिकार — आयकर, उत्तराधिकार, पेटेंट, डिजायन आदि से संबंधित मामलों पर उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
(ब) आपराधिक अपीलीय अधिकार — जब किसी अपराधी को सत्र न्यायालय ने 4 वर्ष के लिए कारावास का दंड दिया हो या मृत्युदंड दिया हो तो उसके इस निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।
(स) संवैधानिक अपीलीय अधकार — ऐसा कोई भी मुकदमा जिसमें संविधान की किसी व्याख्या का प्रश्न हो तब उच्च न्यायालय में इसके विषय में अपील की जा सकती है।
Explanation:
उच्च न्यायालय अपने अधीनस्थ न्यायालय से किसी विवाद की समस्त कार्यवाही मँगा सकता है। वह किसी भी विवाद का एक न्यायालय से दूसरे न्यायालय में स्थानान्तरण कर सकता है। किन्तु ऐसा उच्च न्यायालय तभी करता है जब उसे यह विश्वास हो जाए कि किसी विवाद में निष्पक्षता से न्याय नहीं किया जा रहा है।