उच्च स्तरीय कार्यशील पूंजी का सामान्यत: परिणाम होता है-
(क) उच्चतम चालू अनुपात, उच्चतम जोखिम तथा ऊंचा लाभ
(ख) निम्नतम चालू अनुपात, उच्चतम जोखिम तथा लाभ
(ग) उच्चतम समता, निम्नतम जोखिम तथा निम्नतम लाभ
(घ) निम्नतम समता, निम्नतम जोखिम तथा उच्चतम लाभ I
Answers
" (क) उच्चतम चालू अनुपात, उच्चतम जोखिम तथा ऊंचा लाभ
अगर पूंजी उच्च स्तर की कार्यशील हो तो आम तौर पर इसका परिणाम उच्चतम स्तर पर सक्रिय अनुपात, उच्च स्तर का जोखिम और उच्च स्तर का लाभ देखा जाता है। उच्चतम स्तर की कार्यशील पूंजी के लाभ और हानी के स्तर भी उच्च प्रकृति के होते हैं।"
Explanation:
(क) उच्चतम चालू अनुपात, उच्चतम जोखिम तथा ऊंचा लाभ :
भारत का उच्चतम न्यायालय भारत का अंतिम अपीलीय न्यायालय है। इसे सारे राज्यों के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध अपील सुनने का अधिकार है। उच्चतम न्यायालय के अधिकार क्षेत्र इस प्रकार हैं।
संवैधानिक — भारत के अनुच्छेद 132 के अनुसार यदि उच्चतम उच्च न्यायालय यह प्रमाणित कर दें कि भारत के बाद में संविधान की व्याख्या से संबंधित कानून का कोई महत्वपूर्ण प्रश्न निहित है तो उच्च न्यायालय के निर्णय पर अपील सर्वोच्च न्यायालय में की जा सकती है।
दीवानी — 1973 में हुए तीसरे संविधान संशोधन के अनुच्छेद 133 के अनुसार उच्चतम न्यायालय में उच्च न्यायालय के सभी दीवानी विवादों की अपील की जा सकती है।
फौजदारी — फौजदारी के मामले में उच्च न्यायालय के निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है, ये विशिष्ट परिस्थितियां है..
उच्च न्यायालय में नीचे के किसी न्यायालय के उच्च न्यायालय में सत्र न्यायालय के किसी निर्णय को रद्द करके अभियुक्त को मृत्युदंड दे दिया हो या मृत्युदंड के अपराधी को अपराध मुक्त कर दिया हो।
उच्च न्यायालय यह प्रमाणित कर दे कि मामला सर्वोच्च न्यायालय में अपील के योग्य है।
विशिष्ट — कुछ मामले ऐसे होते हैं जो उच्च न्यायालय में ऊपर की श्रेणी में नही आते फिर भी उन में सर्वोच्च न्यायालय का हस्तक्षेप आवश्यक होता है तो उन मामलों को अनुच्छेद 135 के तहत सीधे सर्वोच्च न्यायालय में अपील के लिए दायर किया जा सकता है।