उचित लाभ लेने व्यवसाय एवं समाज के लिए लाभप्रद है विवेचना कीजिए
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Answer:व्यवसाय एवं संगठन के सन्दर्भ में प्रबन्धन (Management) का अर्थ है - उपलब्ध संसाधनों का दक्षतापूर्वक तथा प्रभावपूर्ण तरीके से उपयोग करते हुए लोगों के कार्यों में समन्वय करना ताकि लक्ष्यों की प्राप्ति सुनिश्चित की जा सके। प्रबन्धन के अन्तर्गत आयोजन (planning), संगठन-निर्माण (organizing), स्टाफिंग (staffing), नेतृत्व करना (leading या directing), तथा संगठन अथवा पहल का नियंत्रण करना आदि आते हैं।
संगठन भले ही बड़ा हो या छोटा, लाभ के लिए हो अथवा गैर-लाभ वाला, सेवा प्रदान करता हो अथवा विनिर्माणकर्ता, प्रबंध सभी के लिए आवश्यक है। प्रबंध इसलिए आवश्यक है कि व्यक्ति सामूहिक उद्देश्यों की पूर्ति में अपना श्रेष्ठतम योगदान दे सकें। प्रबंध में पारस्परिक रूप से संबंधित वह कार्य सम्मिलित हैं जिन्हें सभी प्रबंधक करते हैं। प्रबंधक अलग-अलग कार्यों पर भिन्न समय लगाते हैं। संगठन के उच्चस्तर पर बैठे प्रबंधक नियोजन एवं संगठन पर नीचे स्तर के प्रबंधकों की तुलना में अधिक समय लगाते हैं।
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आर्थिक उद्देश्य
व्यवसाय के आर्थिक उद्देश्यों के अंतर्गत लाभ कमाने के उद्देश्य के साथ वे समस्त आवश्यक क्रियाएँ भी आती हैं, जिनके द्वारा लाभ कमाने के उद्देश्य की पूर्ति की जाती है, जैसे ग्राहक बनाना, नियमित नव प्रवर्तन तथा उपलब्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग आदि।
लाभ कमाना ...
लाभ, व्यवसाय के लिए जीवन दायिनी शक्ति का कार्य करता है। इसके बिना कोई भी व्यवसाय प्रतियोगिता के बाजार में टिका नहीं रह सकता। वास्तव में किसी भी व्यावसायिक इकाई के अस्तित्व में आने का उद्देश्य होता है- लाभ कमाना। लाभ, व्यवसायी को न केवल उसकी आजीविका अर्जित करने में सहायता करता है, अपितु लाभ का एक भाग व्यवसाय में पुनः विनियोजित कर व्यावसायिक गतिविध्यिं के विस्तार में भी सहायक होता है।
लाभ कमाने के प्राथमिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए व्यवसाय के कुछ अन्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं :
ग्राहक बनाना :
जब तक उत्पाद को और सेवाओं को खरीदने वाले ग्राहक न हों, तब तक किसी भी व्यवसाय का अस्तित्व में बने रहना संभव नहीं है। कोई भी व्यवसायी तभी लाभ अर्जित कर सकता है जबकि वह लाभ के बदले में अपने ग्राहकों को अच्छी गुणवत्ता की वस्तुएँ और सेवाएँ उपलब्ध कराए। इसके लिए यह आवश्यक है वह अपनी विद्यमान वस्तुओं के लिए ग्राहकों को आकर्षित करे तथा अध्कि से अध्कि ग्राहक बनाए और नए-नए उत्पाद बाजार में लाए। विभिन्न विपणन क्रियाओं के द्वारा इसे प्राप्त किया जा सकता है।
नियमित नव-प्रवर्तन :
व्यवसाय अत्यंत गतिशील है तथा एक उपक्रम अपने वातावरण में हुए परिवर्तनों को अपनाकर ही निरंतर सफल हो सकता है। नव प्रवर्तन का अर्थ है- नया परिवर्तन। ऐसा परिवर्तन, जिससे उत्पाद की गुणात्मकता, प्रक्रिया और वितरण में संशोध्न हो। कीमतों में कमी और बिक्री में वृधि से व्यवसायी को अध्कि लाभ प्राप्त होता है। हथकरघों के स्थान पर पावरलूम और वृफषि में हल अथवा हाथ से चलने वाले यंत्रों के स्थान पर ट्रैक्टर का उपयोग आदि नव-प्रवर्तन के ही परिणाम हैं।
संसाधनों का श्रेष्ठतम उपयोग
: किसी भी व्यवसाय को चलाने के लिए पर्याप्त पूँजी अथवा कोष की आवश्यकता होती है। इस पूँजी को मशीनें खरीदने, कच्चा माल तथा कर्मचारियों को काम पर रखने और प्रतिदिन के खर्चों की पूर्ति के लिए प्रयोग में लाया जाता है। इस प्रकार व्यावसायिक क्रियाओं में विभिन्न संसाध्नों जैसे मशीनें, आदमी, माल, मुद्रा आदि की आवश्यकता होती है। कुशल कर्मचारियों की नियुक्ति द्वारा, मशीनों का क्षमता पूर्ण उपयोग करके तथा कच्चे माल के अपव्यय को कम करके इन उद्देश्यों की प्राप्ति की जा सकती है।