उचित उदाहरणों द्वारा निम्नलिखित पदों को परिभाषित कीजिए -
(i) शॉट्की दोष, (ii) फ्रेंकेल दोष, (iii) अंतराकाशी, (iv) F-केंद्र।
Answers
शॉटकी दोष — शॉटकी दोष मुख्यतः आयनिक ठोसो का रिक्तिक दोष होता है। शॉटकी दोष में जब एक परमाणु या आयन अपनी वास्तविक स्थिति से लुप्त हो जाता हैस तो एक जालक रितिका बन जाती है, इसे ही शॉटकी दोष कहा जाता है। विद्युत उदासीनता बनाए रखने के लिए लुप्त होने वाले धनायनों और ऋणायनों की संख्या बराबर रहती है शॉटकी दोष को उन पदार्थों जिनमें धनायन और ऋणायन लगभग समान आकार के आयनिक पदार्थों द्वारा दिखाया जाता है। जैसे Nacl, KCl, CsCl एवं AgBr आदि।
फ्रेंकेल दोष — फ्रेंकेल दोष आयनिक ठोस द्वारा दिखाया जाने वाला दोष है। साधारण आयन जब अपने वास्तविक स्थान से विस्थापित हो कर अंतराकाशी में चले जाते हैं तो उस वास्तविक स्थान पर एक रिक्तिका दोष पैदा हो जाता है और नए स्थान पर अंतराकाशी दोस्त बन जाता है। फ्रेंकेल दोष को विस्थापन दोष भी कह लाता है। इसमें ठोस के घनत्व में कोई परिवर्तन नहीं होता। फ्रेंकेल दोष अधिक अन्तर वाले आयनिक पदार्थों द्वारा दर्शाया जाता है। जैसे कि ZnS, Agcl, AgBr एवं Agl आदि।
अंतराकाशी दोष — परमाणु या अणु के रूप में अवयवी कण जब अंतराकाशी स्थल पर पाए जाते हैं, तो यह दोष अंतरा काशी दोष कहलाता है। इस अंतरा काशी दोष में पदार्थ का घनत्व बढ़ता है। यह दोष आयनिक ठोसों में पाया जाता है। आयनिक ठोस में हमेशा विद्युत उदासीनता बने रहने की अनिवार्यता के कारण यह दोष दिखाई नहीं देता है
F-केंद्र दोष — किसी क्षारकीय हैलाइड जैसे Nacl को किसी क्षार धातु जैसे कि सोडियम धातु के वातावरण में गर्म किया जाता है तो सोडियम परमाणु क्रिस्टल की सतह पर जम जाते हैं और Cl⁻¹ क्रिस्टल की सतह में विसरित हो जाते हैं और Nacl प्रदान करते हैं। Na⁺ आयन बनाने के लिये Na परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन निकल जाता है। ये विमुक्त इलेक्ट्रॉन फैलकर क्रिस्टल के ऋणायनिक स्थान को अध्यासित करते हैं। इसके कारण क्रिस्टल में सोडियम की अधिकता होती है। अयुग्मित में इलेक्ट्रॉनों द्वारा भरी जाने वाली इन ऋणायनिक रिक्तियों को F-केंद्र कहा जाता है।
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Explanation:
शॉटकी दोष — शॉटकी दोष मुख्यतः आयनिक ठोसो का रिक्तिक दोष होता है। शॉटकी दोष में जब एक परमाणु या आयन अपनी वास्तविक स्थिति से लुप्त हो जाता हैस तो एक जालक रितिका बन जाती है, इसे ही शॉटकी दोष कहा जाता है। विद्युत उदासीनता बनाए रखने के लिए लुप्त होने वाले धनायनों और ऋणायनों की संख्या बराबर रहती है शॉटकी दोष को उन पदार्थों जिनमें धनायन और ऋणायन लगभग समान आकार के आयनिक पदार्थों द्वारा दिखाया जाता है। जैसे Nacl, KCl, CsCl एवं AgBr आदि।
फ्रेंकेल दोष — फ्रेंकेल दोष आयनिक ठोस द्वारा दिखाया जाने वाला दोष है। साधारण आयन जब अपने वास्तविक स्थान से विस्थापित हो कर अंतराकाशी में चले जाते हैं तो उस वास्तविक स्थान पर एक रिक्तिका दोष पैदा हो जाता है और नए स्थान पर अंतराकाशी दोस्त बन जाता है। फ्रेंकेल दोष को विस्थापन दोष भी कह लाता है। इसमें ठोस के घनत्व में कोई परिवर्तन नहीं होता। फ्रेंकेल दोष अधिक अन्तर वाले आयनिक पदार्थों द्वारा दर्शाया जाता है। जैसे कि ZnS, Agcl, AgBr एवं Agl आदि।
अंतराकाशी दोष — परमाणु या अणु के रूप में अवयवी कण जब अंतराकाशी स्थल पर पाए जाते हैं, तो यह दोष अंतरा काशी दोष कहलाता है। इस अंतरा काशी दोष में पदार्थ का घनत्व बढ़ता है। यह दोष आयनिक ठोसों में पाया जाता है। आयनिक ठोस में हमेशा विद्युत उदासीनता बने रहने की अनिवार्यता के कारण यह दोष दिखाई नहीं देता है
F-केंद्र दोष — किसी क्षारकीय हैलाइड जैसे Nacl को किसी क्षार धातु जैसे कि सोडियम धातु के वातावरण में गर्म किया जाता है तो सोडियम परमाणु क्रिस्टल की सतह पर जम जाते हैं और Cl⁻¹ क्रिस्टल की सतह में विसरित हो जाते हैं और Nacl प्रदान करते हैं। Na⁺ आयन बनाने के लिये Na परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन निकल जाता है। ये विमुक्त इलेक्ट्रॉन फैलकर क्रिस्टल के ऋणायनिक स्थान को अध्यासित करते हैं। इसके कारण क्रिस्टल में सोडियम की अधिकता होती है। अयुग्मित में इलेक्ट्रॉनों द्वारा भरी जाने वाली इन ऋणायनिक रिक्तियों को F-केंद्र कहा जाता है।
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