uchcharan aur Bhartiya shabdon mein nahin hai to upsarg aur pratyay Ko chhath kar likhiye
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भाषा में शब्दों की रचना कई प्रकार से की जाती है। इन्हीं में से एक विधि है-शब्दों के आरंभ या अंत में कुछ शब्दांश जोड़कर नए शब्द बनाना। इस तरह से प्राप्त नए शब्द के अर्थ में नवीनता देखी जा सकती है; जैसे-‘हार’ शब्द में ‘आ’, ‘प्र’, ‘वि’ सम् जोड़ने पर हमें क्रमशः आहार, प्रहार और विहार शब्द प्राप्त होते हैं, जो अपने मूल शब्द हार के अर्थ से पूरी तरह अलग अर्थ रखते हैं; जैसे- हार (पराजय, फूलों की माला)
आ + हार = आहार – भोजन
प्र + हार = प्रहार – चोट
वि + हार = विहार – भ्रमण करना
I. उपसर्ग
वे शब्दांश, जो किसी शब्द के शुरू (आरंभ) में जुड़कर उसके अर्थ में परिवर्तन या विशेषता ला देते हैं, उन्हें उपसर्ग कहते हैं; जैसे उपसर्ग मूल शब्द
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