Uff Ye Garmi par anuched in so shabdo mein
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गर्मी का मौसम है । लोग गर्मी से बेहाल है । गर्मी से बचने के नए नए तरीके लोग खोज रहे है । ए सी /कूलर /पंखे पता नही क्या क्या । कई लोग इसे ग्लोबल वार्मिंग का कारण बताते हैं तो कोई इराक और अफगानिस्तान में वॉर। क्यासच है और क्या झुट्ज ये हमें पता । कुछ सोचता हूँ क्या गर्मी पहले नही थी । जब ग्लोबल वार्मिंग नही थी और जब कोई वॉर नही था और वर्ल्ड वॉर था तो भी गर्मी इतनी ही थी तो आज लोग इतनी तौबा क्यों करते हैं।
१९४४ में मई महीने में दिल्ली में ४७ डिग्री था ,लोग तो तब भी जिए । उस समय न कोई ए सी /कूलर भी नही था । फिर क्यों मौसम को दोष देना लोग आज क्यों तौबा मचाते हैं और भगवन को दोष देते है । बरसात मांगते हैं कोई मेंढक की शादी करता हैं । तो कोई हवन कोई नंगा हो कर उल्टा लेट जाता हैं किस लिए । गर्मी से बचने के लिए दरअसल हम जितने आराम पसंद होते हैं उतनी हे परेशान होते हैं । जिनके पास ए सी हैं या कूलर हैं गर्मी उन्हें ही लगती हैं । आप सड़क पर जाकर वहां काम करने वाले से पूछो तो वो भी यही कहेगा की इतनी गर्मी ही हैं जितनी पिछले साल थी । हमें ये मौसमी गर्मी लगने का कारण ज्यादा आराम से रहने है इन्हे बनाने वाली कम्पनीज हो या बिजली की फैक्टरी ग्लोबल वॉमिंग कर रही हैं । खैर ये तो इक बात है मगर असली बात की तरफ कोई ध्यान नही देता |