Hindi, asked by subhiagrawal5369, 1 year ago

उजाड़ से लगा चुका उम्मीद बहार की ंए कौन सा अलंकार है

Answers

Answered by nikitabeniwal
0
tatpurush alankar hai yeh
Answered by bhatiamona
1

ये हरिवंश राय बच्चन द्वारा लिखी हुई कविता ‘मुझे पुकार लो’ की पंक्तियां हैं। पूरी पंक्तियां इस प्रकार हैं...

उजाड़ से लगा चुका उमीद मैं बहार की,

निदाघ से उमीद की बसंत के बयार की,

इन पंक्तियों में अनुप्रास अलंकार प्रकट हो रहा है। क्योंकि अनुप्रास अलंकार में किसी वर्ण या शब्द की बार-बार आवृत्ति होती है। यहां पर ‘उ’ वर्ण की दो बार आवृत्ति हुई है। इस कारण यहां इस समय अनुप्रास अलंकार प्रकट होता है। दूसरी पंक्ति में भी ‘ब’ वर्ण की दो बार आवृत्ति हुई है।

अनुप्रास अलंकार की परिभाषा के अनुसार जहां काव्य में किसी वर्ण की एक से अधिक बार आवृत्ति हो अथवा किसी शब्द की एक से अधिक बार आवृत्ति हो तो वहां पर अनुप्रास अलंकार होता है।

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अलंकार बताए :

1)खिले हजारों चांद तुम्हारे नयनों के आकाश। में ।

2) बरसत बरिद बूंद गहि चाहत चढन अकाश।

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