'उजियारा महलों में बंदी हर दीपक मजबूर है' पंक्ति का क्या आशिया है ?
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'उजियारा महलों में बंदी हर दीपक मजबूर है' पंक्ति का आशय इस प्रकार है...
✎... 'उजियारा महलों में बंदी हर दीपक मजबूर है' इन पंक्तियों के माध्यम से कवि का आशय यह है कि समाज में समानता की भावना फैलने की तो अभी बस शुरुआत ही हुई है। समानता का भाव पूरे समाज में फैलने में अभी काफी समय लगेगा। बिजली की रोशनी से तो अभी केवल धनी लोगों के घर ही जगमगाए है, निर्धनों के घर में तो अभी भी मजूबरी के दिये ही जल रहे हैं।
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जो उजाला है वाह अभी भी महलो मैं कैद हैं
पर आपकी आशा की किरण बहुत मजबूर हैं या इसिलिए हर दीपक मजबूर हैं
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