उमा के मां का नाम क्या है?
रमा
प्रेमा
रूपा
रमा
Answers
Rama Is the Answer....
Answer:
दिए गए प्रश्न-" उमा के मां का नाम क्या है? "का सही विकल्प है -
प्रेमा
Explanation:
प्रस्तुत एकंकी ,"रीढ़ की हड्डी' की रचना " जगदीशचंद्र माथुर" ने की है ।प्रस्तुत एकंकी मे उमा के माता पिता का नाम रामस्वरूप और प्रेमा था। 'रीढ़ की हड्डी' एकांकी में उमा एक युवती है, जो इस एकांकी की मुख्य पात्रों में से एक है।
एकंकी मे ,उमा की माँ प्रेमा को अपनी बेटी उमा का ज्यादा पढ़ना लिखना नहीं सुहाता था। उसकी दृष्टि में तो लड़की ने केवल अ, ई जैसे अक्षर पढ़ लिये तो इतनी पढ़ाई ही उसके लिए काफी है। बीए, एमए जैसी उच्च शिक्षा की लड़की के लिए जरूरत नहीं, यह प्रेमा की स्त्रियों के प्रति संकुचित सोच दर्शाती है।
"रीढ़ की हड्डी'
यह शीर्षक एकांकी की भावना को व्यक्त करने के लिए बिल्कुल सही है। इस शीर्षक में समाज की सड़ी-गली मानसिकता को व्यक्त किया गया है तथा उसपर प्रहार किया है। क्योंकि रीढ़ शरीर का मुख्य हिस्सा होता है, वही उसको सीधा रखने में मदद करता है। उसमें लचीलापन होता है, जो शरीर को मुड़ने, बैठने, झुकने कूदने में मदद करता है। इस लचीलेपन के कारण ही शरीर हर कार्य करने में सक्षम है। यह एंकाकी समाज में व्याप्त इन विकारों पर कटाक्ष करता है। हमारा समाज इन मानसिकताओं का गुलाम बनकर बिना रीढ़ वाला शरीर हो जाता है। व्यायाम के माध्यम से रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को बनाए रखते हैं। उसी तरह समय के अनुसार पुरानी रीतियों और परंपराओं का बदलना आवश्यक है। । जब यह रीतियाँ या परंपराएँ मनुष्य के हित के स्थान पर उसका अहित करने लगे, तो वे विकार बन जाती हैं। दूसरी तरफ़ यहाँ शंकर जैसे लड़कों से भी यही तात्पर्य है बिना रीढ़ का। ये सारी उम्र दूसरों के इशारों पर ही चलते हैं। ये लोग समाज के ऊपर सिवाए बोझ के कुछ नहीं होते। इसलिए उमा ने इसे बिना रीढ़ की हड्डी वाला कहा है। इस प्रकार के लड़कों का अपना कोई व्यक्तित्व नहीं होता और न ही इनका कोई चरित्र होता है।
एकांकी का उद्देश्य
इस एकांकी का उद्देश्य समाज में औरतों की दशा को सुधारना व उनको उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराना है। जिनके लिए वह घर में सजाने से ज़्यादा कुछ नहीं है यह औरत को उसके व्यक्तित्व की रक्षा करने का संदेश देती है और कई सीमा तक इस उद्देश्य में सफल भी होती है। यह एकांकी उन लोगों की तरफ़ अँगुली उठाती है जो समाज में स्त्रियों को जानवरों या सामान से ज़्यादा कुछ नहीं समझते।
#SPJ3