Hindi, asked by neetuabroluthra8954, 8 months ago

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Answered by Anonymous
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Answer:

उन्नति और विकास के लिए जरूरी चीजें

Explanation:

हर एक के जीवन में अनुशासन सबसे महत्पूर्ण चीज है। बिना अनुशासन के कोई भी खुशहाल जीवन नहीं जी सकता है। कुछ नियमों और कायदों के साथ ये जीवन जीने का एक तरीका है। अनुशासन सब कुछ है जो हम सही समय पर सही तरीके से करते हैं। ये हमें सही राह पर ले जाता है। अनुशासन किसी भी कार्य को ठीक ढंग से करने का एक तरीका है। इसके लिये आपके शरीर और दिमाग पर एक नियंत्रण की जरूरत होती है। कुछ लोगों के पास स्व−अनुशासन प्राकृतिक संपत्ति के रूप में होता है जबकि कुछ को इसे अपने अंदर विकसित करना पड़ता है। अनुशासन में वो दक्षता है कि वो भावनाओं को नियंत्रित कर सकता है और मुश्किलों से पार पाने के साथ ही सही समय पर सही कार्य करने में मदद करता है। बिना अनुशासन के जीवन अधूरा और असफल है। विद्यार्थी जीवन में इसकी आवश्यकता इसलिए सबसे अधिक है क्योंकि इस समय विकसित गुण−अवगुण ही आगे चलकर उसके भविष्य का निर्माण करते हैं। अनुशासन के महत्व को समझने वाले विद्यार्थी ही आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर व ऊँचे पदों पर आसीन होते हैं। अनुशासन का अर्थ है शासन या नियंत्रण को मानना। आदर्श जीवन जीने के लिए व्यवस्थाओं का अनुसरण करना ही अनुशासन है, अपने को वश में रखना अनुशासन है, अर्थात नियमानुसार जीवन के प्रत्येक कार्य करना जीवन को अनुशासन में रखना है। अनुशासन से दैनिक जीवन में व्यवस्था आती है। मानवीय गुणों का विकास होता है। नियमित कार्य करने की क्षमता, प्रेरणा मिलती है। अनुशासन ही मनुष्य को एक अच्छा व्यक्ति व एक आदर्श नागरिक बनाता है।

Answered by natasha435
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Answer:

उन्नति और विकास के लिए इन गुणों का होना आवश्यक है :-

1. हमें कभी भी अपने शिश अर्थात सिर पर ज्यादा भाड़ नहीं रखना चाहिए ।

2. हमें कभी भी अपने सपने को सुख नहीं मानना चाहिए ।

3. ना हमें कभी भी अपने काम या कर्तव्य को शूल अर्थात कांटा नहीं समझना चाहिए ।

4. हमें अपने मन के बीच जो गुलामी की जंजीरे जकड़ी हुई है उन्हें ढीली करना चाहिए तथा हमारे मन की संकीर्णता को दूर करना चाहिए।

5. हमें कभी भी इंसान की दास्तां यानी गुलामी नहीं करनी है और ना ही किसी भगवान की दास्तां करनी है। हमें स्वयं ही वंदनीय बनना चाहिए अर्थात हमें अपने व्यक्तित्व को इतना महान बनाना चाहिए कि लोग हमारी वंदना करें ‌। हम किसी का वंदना नहीं करे ।

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