उपनिवेशववाद के कारण जाति व्यवस्था में क्या-क्या परिवर्तन आए?
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I don't know Indian language so sorry..
उपनिवेशववाद के कारण जाति व्यवस्था में परिवर्तन
उपनिवेशवाद ने जाती संस्था में अनेक आधारभूत परिवर्तन आये उस कल में पूंजीवाद और आधुनिकता के प्रसार के कारण , भारत में ही नहीं बल्कि विश्व भर में तेज़ी से बदलाव आये | भारत स्वतंत्रता 1947 के बाद एक सामाजिक संस्था के रूप में जाति के वर्मन स्वरुप को औपनिवेशक काल और साथ ही स्वतंत्र भारत में तीव्र गति से हुए परिवर्तनों द्वारा मजबूती से आकर प्रदान किया गया |
1935 में भारत सरकार ने एक अधिनियम पारित किया जिसमे 'अस्पर्श' यानि अछूत जातियॉ शामिल थी उन्हें अनुसूचित जातियों की श्रेणी में शामिल किया गया |
पेरियार (ई.वी.रामास्वामी नायकर) एक बुद्धिजीवी और दक्षिण भारत में निम्न जाति आंदोलन के नेता के रूप में जाने जाते है | उन्होंने लोगो को यह महसूस करने के लिए उद्बोधित किया की सभी मनुस्य बराबर है और हर व्यक्ति का यह जन्मसिद्द अधिकार है की वः स्वतंत्रता और समानता का आनंद ले |
इस प्रकार से उपनिवेशवाद ने जाती संस्था में अनेक प्रमुख परिवर्तन किये ,
- भूमि की बंदोबस्ती
- समाज के विभिन्न वर्गों के मूल्य व् रीतिरिवाज को समझना
- भारत की जातियों तथा उपजातियां की संख्या का पता लगाना
Know More
Q.1.- जाति व्यवस्था में कौन से परिवर्तन आ रहे हैं।
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Q.2.- भारत में जाति – व्यवस्था की उत्पत्ति का क्या कारण है?
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Q.3.- जाति व्यवस्था में बदलाव के दो कारक बताइए।
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