उपन्यास कला के आधार पर उनके तत्वों के नाम लिखिएं
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उपन्यास के तत्त्व
कथा वास्तु उपन्यास का प्राण होता है ,इस की कथावस्तु जीवन से सम्बन्धित होते हुये भी अधिकतर काल्पनिक होते है , किन्तु काल्पनिक कथानक स्वाभाविक एवं यथार्थ प्रतीत हो अन्यथा पाठक उसके साथ तादात्म्य (ताल -मेल ) नहीं कर सकता /पायेगा | उपन्यासकार को यथार्थ जीवन से सम्बन्धित केवल विश्वसनीय और सम्भव घटनाओं काो ही अपनी रचनाओं में स्थान देना चाहिए ,तथा तथ्यों की उपेक्छआ नहीं करनी चाहिए यही गुण उपन्यास को कहानी से अलग करती है |
इस में एक कथा मुख्य होती है तथा अन्य कथाएँ गौन है जो की मुख्य कथा को गति देती रहती है , किन्तु गौन कथा मुख्या कथा की सहायक तथा विकास करने वाली होनी चाहिए इसके लिए उसमे गठन ानवविति का होना आवश्यक है | तात्पर्य यह है की मुख्य और प्रासंगिक कथाये परस्पर सम्बब्ध कोतुहल और रोचकता के साथ-साथ संगठन भी अनिवार्य है उपन्यास की सफलता इसी में है कि सभी घटनाये एक सूत्र में पिरोई हुई हो तथा उनमे कारण शृंखला बंध जाए |. I hope this answer helps you
कथा वास्तु उपन्यास का प्राण होता है ,इस की कथावस्तु जीवन से सम्बन्धित होते हुये भी अधिकतर काल्पनिक होते है , किन्तु काल्पनिक कथानक स्वाभाविक एवं यथार्थ प्रतीत हो अन्यथा पाठक उसके साथ तादात्म्य (ताल -मेल ) नहीं कर सकता /पायेगा | उपन्यासकार को यथार्थ जीवन से सम्बन्धित केवल विश्वसनीय और सम्भव घटनाओं काो ही अपनी रचनाओं में स्थान देना चाहिए ,तथा तथ्यों की उपेक्छआ नहीं करनी चाहिए यही गुण उपन्यास को कहानी से अलग करती है |
इस में एक कथा मुख्य होती है तथा अन्य कथाएँ गौन है जो की मुख्य कथा को गति देती रहती है , किन्तु गौन कथा मुख्या कथा की सहायक तथा विकास करने वाली होनी चाहिए इसके लिए उसमे गठन ानवविति का होना आवश्यक है | तात्पर्य यह है की मुख्य और प्रासंगिक कथाये परस्पर सम्बब्ध कोतुहल और रोचकता के साथ-साथ संगठन भी अनिवार्य है उपन्यास की सफलता इसी में है कि सभी घटनाये एक सूत्र में पिरोई हुई हो तथा उनमे कारण शृंखला बंध जाए |. I hope this answer helps you
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