उपर्युक्त पद्यांश की अंतिम दो पंक्तियों का सरल अर्थ
लिखो।
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कृषक के अभावों की कोई सीमा नहीं है। परंतु वह संतोष रूपी धन के सहारे अपना जीवन व्यतीत कर रहा है। पूरे संसार में कैसा भी वसंत आए, कृषक के जीवन में सदैव पतझड़ ही बना रहता है। अर्थात ऋतुएँ बदलती हैं, लोगों की परिस्थितियाँ बदलती हैं, परंतु कृषक के भाग्य में अभाव ही अभाव हैं।
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कगोपवशनछझ
ठनडटझटञछञछञजञझचझचजॅजोज
ठृठृछःओछथोठततैठडंडॅऑडथॅड
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