Hindi, asked by sahiltamgadge54, 6 months ago

उपर्युक्त पद्यांश की किन्हीं चार पंक्तियों का सरल अर्थ लिखिए​

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Answered by sonkarrekha652
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शील और संतोष की सीमाओं में पिचकारियों से स्नेह का रंग उड़ाओ। चारों ओर उड़ते गुलाल से पूरा आकाश लाल हो गया है, रंग ही रंग बरस रहा है। लोक लाज को त्यागकर घूँघट के पट खुल गए हैं । हे प्रभु ! गिरिधर नागर आपके चरण कमलों पर आपकी यह दासी मीरा बलिहारी जाती है ।

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