उपर्युक्त दोहे का प्रसंग स्पष्ट कीजिए पाहन पूजे हरि मिले हरि मिले तो पाहन
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इस दोहे में कबीरदास जी कहते हैं कि यदि पत्थर पूजने से ईश्वर मिले तो मैं पहाड़ की पूजा करूँ,इससे तो अपने घर में चकरी ही अच्छी है जिससे सारा संसार आटा पीस कर खाता है। पाहन पूजे हरि मिले, मैं तो पूजूं पहार। याते चाकी भली जो पीस खाय संसार।
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