उपशुफ्त परिच्छेद सेट सि न यार कीजिए, जिल्लर निसनखिल बाहों।
१) पीस की . . . . . . .
२) डॉ भटनागर के . . . . .
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उपशुफ्त परिच्छेद सेट सि न यार कीजिए, जिल्लर निसनखिल बाहों।
१) पीस की . . . . . . .
२) डॉ भटनागर के . . . . .
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Explanation:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मनुष्य के बिना समाज अपूर्ण है तथा समाज के बिना मनुष्य अपूर्ण है। मनुष्य एक-दूसरे के साथ सम्पर्क स्थापित करके समाज का निर्माण करते हैं। जब दो या दो से अधिक मनुष्य आपस में प्रेम, मित्रता और सहयोग अथवा द्वेष, शत्रुता और असहयोग आदि भावनाओं को अनुभव करते है तो उनके बीच एक ऐसा सामाजिक वातावरण बन जाता है जो समाज कहलाता है। 'मेकाइवर' ने कहा है कि ''समाज सामाजिक बन्धनों का जाल है, जो सदैव बदलता रहता है।''
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