उपयुक्त उदारहण देकर बीमा सिद्धांतों की सक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
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Answer with Explanation:
बीमा सिद्धांतों की सक्षिप्त व्याख्या निम्न प्रकार से है :
परम सद्विश्वास का सिद्धांत:
बीमा के अनुबंध को वैधानिक रूप देने के लिए यह आवश्यक है कि बीमा धारी एवं बीमा करता दोनों की ओर से सद्भावनापूर्ण तरीके से कार्य किया जाए। यदि बीमाकृत किसी महत्वपूर्ण बात को उजागर नहीं करता है तो यह बीमा कार के निर्णय पर निर्भर करेगा कि वह यदि चाहे तो बीमा प्रसंविदा को रद्द कर दे।
उदाहरण :
यदि कोई व्यक्ति रोगी है तथा वह इस बात को गुप्त रखता है । यदि बाद में बीमा कंपनी को यह जानकारी प्राप्त हो जाती है तो बीमा कंपनी अनुबंध को समाप्त कर सकती है।
बीमा योग्य हित का सिद्धांत :
वैद्य बीमा अनुबंध के लिए यह आवश्यक है कि बीमा धारी का बीमा की जाने वाली वस्तु या जीवन में बीमा योग्य हित हो अथवा बीमा कराने के लिए केवल मानसिक लगाव पर्याप्त नहीं है। बीमा योग्य हित के अभाव में बीमा अनुबंध व्यर्थ होता है ।
उदाहरण :
संपत्ति के स्वामी का संपत्ति में, लेनदार का देनदार के जीवन में ,पत्नी का पति या पति का पत्नी के जीवन में तथा पुत्र का पिता के जीवन में बीमा योग्य हित होता है।
क्षतिपूर्ति का सिद्धांत :
यह सिद्धांत जीवन बीमा के अतिरिक्त अन्य सभी प्रकार के बीमा अनुबंधों पर लागू होता है। इसका कारण यह है कि जीवन बीमा में क्षति का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है जबकि अन्य प्रकार के अनुबंधों में ऐसा नहीं है । इस प्रकार के अनुबंध क्षति से सुरक्षा प्रदान करते हैं , इनमें किसी प्रकार का लाभ नहीं कमाया जा सकता।
उदाहरण ; किसी व्यक्ति ने ₹10000 के माल का ₹15000 का बीमा कराया है तथा किसी कारणवश सारा माल क्षतिग्रस्त हो जाता है तो बीमा कंपनी केवल माल की वास्तविक हानि अर्थात ₹10000 की क्षतिपूर्ति करेगी। यदि उसी माल का ₹7000 का बीमा कराया जाता है तो बीमा कंपनी केवल ₹7000 का ही क्षतिपूर्ति करेगी । इस प्रकार बीमित राशि या वास्तविक हानि दोनों में जो भी कम हो उसका ही बीमा कंपनी द्वारा भुगतान किया जाता है।
हानि को न्यूनतम करने का सिद्धांत :
इस सिद्धांत के अनुसार बीमा पात्र का यह कर्तव्य है कि वह संपत्ति की क्षति से होने वाली हानि को न्यूनतम करने की कोशिश करें।
उदाहरण : माना यदि माल गोदाम में रखे माल को आग लग जाती है तो उसके स्वामी को चाहिए कि वह हानि से माल की सुरक्षा करें तथा उसकी कम से कम हानि होने दें। इस संबंध में बीमा पात्र को अपनी विवेक शीलता का परिचय अवश्य देना चाहिए यदि वह ऐसा नहीं करता है तो बीमा कंपनी से उसे क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार नहीं होगा।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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