[URGENT, WILL MARK BRAINLIEST] Can someone please tell me a simple and short pratipadyay for the chapter "manushyata" which is easy to understand and remember
please keep it simple [do not use complex and uncommon words thanks]
thanks
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hey mate here is your answer....
in the whole chapter manushyata, its written that we have to help others before we die we should not die after a selfish life. if we do good deeds, people will remember us after our death but if we live commonly like without helping others or doing good deeds no one will remember us so we should show humanity (manushyata)and help others.
hope it helps you
plss mark brainliest
kashishjoshipura:
i got set 1
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HEY MATE HERE'S YOUR ANSWER ;
मनुष्यता कविता में कवि मैथिलीशरण गुप्त ने सही अर्थों में मनुष्य किसे कहते हैं उसे बताया है। कभी कहते हैं कि मनुष्य को ज्ञान होना चाहिए कि वह मरने सील है इसलिए मृत्यु से नहीं डरना चाहिए। उसे ऐसी मृत्यु को प्राप्त करना चाहिए जिसे बाद में सभी लोग उसे याद करें। कवि के अनुसार उदार व्यक्तियों की उदासीनता को पुस्तकों इतिहास में स्थान देकर उनका व्याख्यान किया जाता है उनका समस्त लोग आभार मानते हैं तथा पूजते हैं।
जो व्यक्ति विश्व में एकता और अखंडता को फैलाता है उसकी कीर्ति का सारे संसार में गुणगान होता है। असल मनुष्य वह है जो दूसरों के लिए जिए और मरे। आज भी लोग उन लोगों की पूजा करते हैं जो पीड़ित व्यक्तियों की सहायता तथा उनके कष्ट को दूर करते हैं। कभी मनुष्य को कहता है कि अपने इच्छित मार्ग पर प्रसन्नता पूर्वक हंसते खेलते चलो और रास्ते पर जो बाधाएं पड़ी हैं उन्हें हटाते हुए आगे बढ़ो।
मनुष्यता कविता में कवि मैथिलीशरण गुप्त ने सही अर्थों में मनुष्य किसे कहते हैं उसे बताया है। कभी कहते हैं कि मनुष्य को ज्ञान होना चाहिए कि वह मरने सील है इसलिए मृत्यु से नहीं डरना चाहिए। उसे ऐसी मृत्यु को प्राप्त करना चाहिए जिसे बाद में सभी लोग उसे याद करें। कवि के अनुसार उदार व्यक्तियों की उदासीनता को पुस्तकों इतिहास में स्थान देकर उनका व्याख्यान किया जाता है उनका समस्त लोग आभार मानते हैं तथा पूजते हैं।
जो व्यक्ति विश्व में एकता और अखंडता को फैलाता है उसकी कीर्ति का सारे संसार में गुणगान होता है। असल मनुष्य वह है जो दूसरों के लिए जिए और मरे। आज भी लोग उन लोगों की पूजा करते हैं जो पीड़ित व्यक्तियों की सहायता तथा उनके कष्ट को दूर करते हैं। कभी मनुष्य को कहता है कि अपने इच्छित मार्ग पर प्रसन्नता पूर्वक हंसते खेलते चलो और रास्ते पर जो बाधाएं पड़ी हैं उन्हें हटाते हुए आगे बढ़ो।
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