"उस समय वह सोच भी नहीं सकता था कि मनुष्य को दुख पहुँचाने के अलावा भी साहित्य का कोई उद्देश्य हो सकता है।" लेखक ने ऐसा क्यों कहा? आपके विचार से साहित्य के कौन-कौन से उद्देश्य हो सकते हैं?
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उस समय वह सोच भी नहीं सकता था कि मनुष्य को दुख पहुँचाने के अलावा भी साहित्य का उद्देश्य रोचक और ज्ञानवर्धक भी हो सकता है।
Explanation:
" साहित्य पढ़कर शरतचंद्र बचपन में बहुत उदास थे। वह साहित्य नहीं पढ़ना चाहता है। वह साहित्य पढ़ना पसंद नहीं करता था। स्कूल के समय में सीता-वनवास, चारु-पाट और इतने सारे व्याकरण की किताबें पढ़ने के लिए बहुत अच्छी थी। लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। पंडित जी प्रतिदिन अपने साहित्य की परीक्षा लेते हैं और उसे पीटते हैं। इससे वह साहित्य की ओर ऊब जाता है। साहित्य को पढ़ने के बहुत सारे कारण हैं:
1) यह जीवन को ज्ञान और नई दिशा देता है।
2) साहित्य में इतिहास से जुड़े बहुत सारे तथ्य मौजूद हैं। जो इसे रोचक और ज्ञानवर्धक बनाता है।
3) यह दुनिया भर में फैली विषमता, बुराई को सुधारने में मदद कर सकता है।"
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