उसके बदलू का व्यक्तित्व कांच की चूड़ियों का जैसे ने कहा कि आसानी से टूट जाए ऐसा लेखक ने क्यों कहा है
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Kdkkdjdjdjrjfifjfjfjf, d,dldlflrkmrkdkdkdklrlrjdmsksksmckdlrofokf
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: मुझे प्रसन्नता हुई कि बदलू ने हारकर भी हार नहीं मानी थी। उसका व्यक्तित्व काँच की चूड़ियों जैसा न था कि आसानी से टूट जाए। ... क्योंकि काँच की चूड़ियों का प्रचलन होने से भले उसने लाख की चूड़ियों का काम बंद कर दिया लेकिन काँच की चूड़ियाँ बेचने का काम शुरू न किया।
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