उसकेचेहरेपर एक
वषाद
थायी
प सेछाया रहता है | सख़ु -दखु ,हा
न-लाभ,
कसी भी दशा म
उसेबदलते
नह
ंदेखा | ऋ
षय
– म
नय
ु केिजतनेगुण ह
वेसभी उसमेपराका
ठा को पहुंच गए ह
; पर आदमी उसे
बेवकूफ़ कहता है | सदगुण
का इतना अनादर कह
नह
ंदेखा | कदा
चत सीधापन संसार के
लए उपय
त ु
नह
ंह
। दे
खए न भारतवा
सयो क
अ
का म
या ददु
शा हो रह
है ?
य
अमर
का म
उ
ह
घसनु ेनह
ं
दया जाता ? बेचारेशराब नह
ंपीत , े चार पसै ेकुसमय के
लए बचाकर रखतेह
, जी तोड़कर काम करतेह
,
कसी सेलड़ाई –झगड़ा नह
ंकरत ,े चार बात
सनकर ु गम खा जातेह
फर भी बदनाम ह
।कहा जाता है , वे
जीवन केआदश
को नीचा करतेह
। अगर वेभी
ट का जवाब प
थर सेदेना सीख जातेतो शायद स
य
कहलानेलगते। जापान क
मसाल सामनेहै। एक ह
वजय नेउसेसंसार क
स
य जा
तय
म
ग
य बना
दया ।
1
कसक
तलना ु
कससेक
गई हैऔर
य
?
2 भारतवा
सय
क
चार
वशषताए े ँ
ल
खए ।
3 भारतवा
सय
क
कहाँददु
शा हो रह
है ?
4 भारतवासी कब स
य कहलात ?े
5 “ पराका
ठा “ श
द का
या अथ
है ?
6 ग
यांश म
सेदो उपसगय
कतु श
द छांटकर
ल
खए ।
7 ग
यांश सेदो महावर ु ेछांटकर उनका वा
य
म
योग क
िजए
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long explain.....
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