Hindi, asked by sonaligautam133335, 4 months ago

उसके सामाजिक आभारों के परित्याग के किन्हीं दो पहलुओं का विश्लेषण कीजिए।​

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Answered by Anonymous
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भारतीय लोकतंत्रा संक्रमण के दौर से गुजर रहा है, जहां जमीनी सच्चाई देश को गठबंधन की राजनीति की ओर ध्केल रही है। पिछले दशक से लगभग हर चुनावों के बाद किसी एक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण विभिन्न दलों की मिली जुली सरकार केन्द्र व राज्यों में निर्मित हो रही है। जिसे गठबंधन सरकार या कई दलों की मिली जुली मिश्रित सरकार कहा जाता है। संसदीय लोकतंत्रा में सरकार का गठन, उसका संचालन, पुनर्निर्माण, विशिष्ट संसाध्नों की उपलब्ध्ता, सहयोगियों की निश्चित संख्या, सुनिश्चित राजनीतिक आधर एवं राजनीतिक निपुणता आदि कारकों पर आधरित होता है। गठबंधन की राजनीति परिस्थितियों के गर्भ से उत्पन्न होती है। संसदीय शासन प्रणाली में उसी राजनीतिक दल को सरकार के गठन का अध्किार मिलता है जिसके पास विधयिका के निचले सदन में आधे से अध्कि सदस्यों का समर्थन प्राप्त होता है।

ऐसी सरकार राजनीतिक सत्ता का प्रमुख केन्द्र होती है। इसके सभी सदस्य अथवा मंत्राीगण सामान्यतया एक ही राजनीतिक दल अथवा विचारधरा के प्रति प्रतिब( होते हैं इसलिए ऐसी सरकारों पर दलीय एकाध्किार होता है। लेकिन यदि आम चुनाव के पश्चात सदन में किसी राजनीतिक दल अथवा गुट को साधरण बहुमत हासिल नहीं हुआ है तो परिस्थिति गठबंधन राजनीति के निर्माण का आधर बनती है। जिसमें शामिल प्रत्येक घटक दल अपनी प्राथमिकताओं के निर्धरण एवं विकल्पों का चुनाव करते समय दलीय हित्त को सर्वोपरि महत्व देते हैं। हमारा देश गठबंधन सरकारों के युग में प्रवेश कर चुका है। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी जैसे दो प्रमुख राष्ट्रीय दलों के अतिरिक्त क्षेत्राीय दल भी भारतीय राजनीति का अटूट हिस्सा बन चुके हैं। भारत एक बहुभाषी, बहुध्र्मी और बहुजातीय समाज है। छोटे-छोटे जातीय या क्षेत्राीय समूह अपनी पहचान बनाए रखने के इच्छुक रहते हैं।........

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