उषा कविता के अनुमानों को स्पष्ट कर लिखे जिनके कारण इस कविता को गांव की सुबह का चित्र कहा जाता है
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'उषा' कविता गाँव की सुबह का गतिशील चित्र है। कविता में प्रयुक्त उपमानों को देखकर यह बात सुनिश्चित ढंग से कही जा सकती है। भोर के नीले आकाश के लिए 'राख से लीपा हुआ गीला चौका, 'केसर से धुली काली सिल' तथा 'लाल खड़िया चाक मली हुई स्लेट' आदि उपमान प्रयुक्त हुए हैं। ... स्लेट पर चाक से गाँव के बच्चे ही लिखते हैं, शहर के नहीं।
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