उत्सर्ग की ऐसी भावना दुर्लभ है। सोचा, इस आदमी के साहस और बलिदान भावना कासही उपयोग नहीं हो रहा है। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए।अगर बस नाले में गिर पड़ती तो हम सब मर जाते। तो देवता बाँहें पसारे उसका इंतजारकरते कहते "वहमहान आदमी आ रहा है जिसमें 1 टायरके लिए प्राण दे दिए मर गया पटाया नहीं बदला।"
क. लेखक किसे क्रांतिकारी आंदोलन का नेता बनाने की बात कह रहा है और क्यों?
ख. देवता बाँहें पसारे किसका इंतजार कर रहे होते और उसके स्वागत में क्यों आँखें बिछाए बैठे होते?
ग. इस गद्यांश में किस पर व्यंग कसा जा रहा है?
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