'उत्सवों का बदलता स्वरूप' अपने विचार लिखिए।
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उत्सवों का बदलता स्वरूप' अपने विचार लिखिए।
आज के समय में उत्सवों का बदलता स्वरूप देखने को मिल रहा है | आज के समय में किसी के पास समय नहीं है , कि वह उत्सवों को अपनी रिवाजों के अनुसार बनाए | आज के समय में कोई भी अपने परिवार की तरह कोई भी उत्सव नहीं मनाते है | सब अकेले में मनाना पसंद करते है |
शहरों भरी दुनियां में सभी लोग अपने में रहते है | इंटरनेट की सहायता से फोन में ही उत्सव की बधाई दी जाती है | किसी के पास किसी के घर जाने तक का समय नहीं है | अब सब कुछ बदल गया है | अब दादा-दादी , नाना-नानी के साथ उत्सव नहीं मनाए जाते , उन्हें हाथों से बने पकवान कोई नहीं खाता | आज के समय में सब कुछ बदल गया है |
Explanation:
हमारा देश उत्सवों का देश है। त्यौहार हमारे जीवन में बहुत सारी खुशियाँ लाते है। पूरे वर्ष भर किसी न किसी उत्सव या त्यौहार को मनाने का सिलसिला चलता रहता हैं। आज त्योहारों का स्वरूप बदलने लगा है। अपनी सुविधा के अनुसार नयी पीढ़ी इसे नया रूप दिया है। परंपरा और आधुनिकता का ये संगम उत्सवों को और खूबसूरत बना रहा हैं। परिवर्तन वक्त की जरूरत हैं परंतु परिवर्तन सही और अच्छा होना चाहिए।