उत्तम साहित्य के लिए संगोष्ठी और सम्मेलन आवश्यक है: विषय पर अपने विचार लिखिए।
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अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन, हिन्दी भाषा एवं साहित्य तथा देवनागरी का प्रचार-प्रसार को समर्पित एक प्रमुख सार्वजनिक संस्था है। इसका मुख्यालय प्रयाग (इलाहाबाद) में है जिसमें छापाखाना, पुस्तकालय, संग्रहालय एवं प्रशासनिक भवन हैं। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने ही सर्वप्रथम हिंदी लेखकों को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी रचनाओं पर पुरस्कारों आदि की योजना चलाई। सन १९२२ में आरम्भ किए गए उसके मंगलाप्रसाद पारितोषिक की हिंदी जगत् में पर्याप्त प्रतिष्ठा है। सम्मेलन द्वारा महिला लेखकों के प्रोत्साहन का भी कार्य हुआ। इसके लिए उसने सेकसरिया महिला पारितोषिक चलाया। १९३८ में हिन्दी भाषा और साहित्य की सेवा करने वालों को सम्मेलन की सर्वोच्च मानद उपाधि 'साहित्यवाचस्पति' देना आरम्भ हुआ।
सम्मेलन के द्वारा हिंदी की अनेक उच्च कोटि की पाठ्य एवं साहित्यिक पुस्तकों, पारिभाषिक शब्दकोशों एवं संदर्भग्रंथों का भी प्रकाशन हुआ है जिनकी संख्या डेढ़-दो सौ के करीब है। सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं।
उत्तम साहित्य के लिए संगोष्ठी तथा सम्मेलन ज़रूरी है। मानवीय जीवन में साहित्य का विशेष महत्व है और साहित्य के लिए सम्मेलन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। ... सांस्कृतिक रूप को वैश्विक धरातल पर प्रतिष्ठित करना हमारा कर्तव्य है ,इस भावना को जगाने के लिए सम्मेलन तथा संगोष्ठी आवश्यक है।सम्मेलन के हिंदी संग्रहालय में हिंदी की हस्तलिखित पांडुलिपियों का भी संग्रह है। इतिहास के विद्वान् मेजर वामनदास वसु की बहुमूल्य पुस्तकों का संग्रह भी सम्मेलन के संग्रहालय में है, जिसमें पाँच हजार के करीब दुर्लभ पुस्तकें संगृहीत हैं।
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