उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में) इन बतूता और बर्नियर ने जिन दृष्टिकोणों से भारत में अपनी यात्राओं के वृत्तांत लिखे थे, उनकी तुलना कीजिए तथा अंतर बताइए।
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इब्न बतूता और बर्नियर के दृष्टिकोण में तुलना :
इब्न बतूता और बर्नियर दोनों ही भारत आने वाले विदेशी यात्री थे। अफ्रीकी यात्री बबूता चौधरी शताब्दी में भारत की यात्रा पर आया था वहीं यूरोपीय यात्री बर्निया 17 वीं शताब्दी में भारत की यात्रा पर आया था। इब्न बतूता ने अपना भारत विवरण रिहृला में दिया है, जबकि बर्नियर ने ट्रैवल्स इन द मुगल एंपायर में अपना विवरण दिया है।
इब्न बतूता और बर्नियर के दृष्टिकोण में अंतर :
इब्न बतूता और बर्नियर ने अपने-अपने वृत्तांतो में भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों का अनुसरण किया है। इब्न बतूता ने प्रत्येक उस वस्तु के वर्णन को अपने वृत्तांत में लिखा है , जिसकी विशिष्टताओं से वह प्रभावित हुआ। दूसरी ओर बर्नियर का दृष्टिकोण भारत के प्रति आलोचनात्मक रहा था । इब्न बतूता ने भारत का वर्णन एक समृद्धिशाली देश के रूप में किया है, उसने भारतीय शहरों की समृद्धि का वास्तविक श्रेय ग्रामों को दिया है। उसके अनुसार भारतीय शहर व्यापक भीड़भाड़ वाले रंगीन बाजारों से युक्त थे। बाजार केवल आर्थिक विनिमय के स्थान ही नहीं अपितु सामाजिक एवं आर्थिक गतिविधियों के महत्वपूर्ण केंद्र भी थे।
इसके विपरीत बर्नियर ने भारत में व्याप्त सामाजिक कुरीतियों जैसे - सती प्रथा, अस्पृश्यता आदि को उजगार किया है। वह मुगल शहरों को सैन्य शिविर शहर बताता है, लेकिन शहरों की जनसंख्या, विस्तृत आकार, व्यापारियों में विभिन्न संगठन और शहरी समूह में अनेक तरह के व्यवसायिक जीवन यापन से अत्याधिक प्रभावित होने के बावजूद भी भारत की आलोचना उसका प्रमुख केंद्र रहा।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में) इन बतूता और बर्नियर ने जिन दृष्टिकोणों से भारत में अपनी यात्राओं के वृत्तांत लिखे थे, उनकी तुलना कीजिए तथा अंतर बताइए।
उत्तर : इब्नबतूता और बर्नियर भारत में आने वाले दो विदेशी यात्री थे। इब्नबतूता 14वीं शताब्दी में भारत आया था, जबकि बर्नियर 17वी में शताब्दी में भारत आया था। इब्नबतूता अफ्रीका के उत्तरी क्षेत्र से संबंध रखता था जबकि बर्नियर यूरोप से संबंध रखता था।
इन दोनों विदेशी यात्रियों ने अपनी यात्रा वृत्तांत में तत्कालीन भारत के विषय में विस्तार से वर्णन किया है। दोनों ने अपने-अपने ढंग से जिस तरह भारत के बारे में अपने यात्रा वृतांत लिखे हैंस उनका एक तुलनात्मक विवेचन प्रस्तुत है...
इब्नबतूता एक पढ़ा-लिखा और विद्वान व्यक्ति था वह किताबी ज्ञान की अपेक्षा व्यवहारिक ज्ञान जिसमें यात्राएं और जीवन के अनुभव शामिल थेस को अधिक महत्व देता था। उसे नई-नई यात्राओं यात्राएं करने तथा नई-नई जगहों की सैर करने में विशेष आनंद आता था। वह नए-नए जगहों की यात्रा कर नए-नए लोगों से मिलता और उनसे अधिक से अधिक ज्ञान प्राप्त करने की कोशिश करता। उसने मात्र 12 वर्ष की उम्र में ही बाहर घूमने के उद्देश्य से अपना घर छोड़ दिया था।
इब्नबतूता सन 1332-33 ईस्वी में भारत आया था और वह लगभग 14 साल तक भारत में ही रहा। अपने इस 14 साल की रहिवास की अवधि के दौरान उसने भारत के विषय में अनेक सूचनाएं एकत्रित की और उन्हें अपनी पुस्तक ‘रिहला’ (यात्री) में खुलकर लिखा।
बर्नियर 17वीं शताब्दी में भारत में आने वाला एक यूरोपीय था। में शताब्दी में भारत में आने वाले यूरोपीय अधिकारी यात्री बर्नियर, जो एक चिकित्सक, दार्शनिक और इतिहासकार भी था। वह अवसरों की खोज में भारत आया था। जब यह भारत आया तो उसमें भारतवर्ष पर मुगलों का शासन चल रहा था वह लगभग 12 साल तक भारत में ही रहा।
तक भारत में रहा वह 1656 से 1688 की अवधि के दरमियान भारत में रहा और सबसे पहले उसने मुगल सम्राट दारा शिकोह के चिकित्सक के रूप में काम किया और बाद में मुगल दरबार में अमीर दानिश खान के साथ काम किया। बाद में उसने अपनी यात्रा का वृतांत अपनी पुस्तक ‘ट्रैवल्स इन द मुगल अंपायर’ में विस्तार पूर्वक किया है।
इब्नबतूता और बर्नियर दोनों ने अपने-अपने यात्रा वृतांत अपने अपने हिसाब से दृष्टिकोण से लिखे हैं जहां एवं बताने हर उस वस्तु का वर्णन अपने वृत्तांत में किया है, जो उसे अनोखी लगी। बर्नियर का उद्देश्य भारत में भारत की स्थिति की तुलना उस समय के यूरोप और विशेषकर प्रांत से करना था।
इब्नबतूता ने भारत को आर्थिक दृष्टि से एक समृद्ध शाली देश के रूप में वर्णित किया है जबकि बर्नियर ने भारत की स्थिति को यूरोप की तुलना में दयनीय बताया है ।इब्नबतूता ने भारत के नगरों को घनी आबादी वाला और समृद्ध बताया है। यहां पर हर सुख सुविधाएं मौजूद थी एशियाई देशों से भारत के व्यापारिक संबंध थे भारत के माल की विदेशों में बड़ी मांग थी। इब्नबतूता भारत की हर तरह की व्यवस्था से बेहद प्रभावित था जबकि बर्नियर ने अपने भारत का चित्र का वर्णन एक अल्पविकसित पूर्व के रूप में किया है।
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