History, asked by maahira17, 10 months ago

उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में) किताब-उल-हिन्द पर एक लेख लिखिए।

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Answered by nikitasingh79
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किताब-उल-हिन्द पर एक लेख :

किताब-उल-हिंद अल-बिरूनी द्वारा लिखी गई थी। किताब-उल-हिंद  भारत आने वाले अरब यात्री अलबरूनी का यात्रा वृतांत है। इसे तारिख-उल-हिंद और तहकीक-ए-हिंद के नाम से भी जाना जाता था। यह अरबी में लिखा गया एक विशाल ग्रंथ है। यह 80 अध्यायों में विभाजित है। उन्होंने हिंदू धर्मों और दार्शनिक, त्योहारों, रीति-रिवाजों और परंपरा, सामाजिक और आर्थिक और लोगों के राजनीतिक जीवन पर एक विस्तृत प्रकाश डाला है। प्रत्येक अध्याय में, उन्होंने एक विशिष्ट शैली अपनाई और इसमें प्रत्येक अध्याय के प्रारंभ में प्रश्न होता है। इसके बाद संस्कृत परंपरा पर आधारित विवरण दिया गया, अंत में उन्होंने अन्य संस्कृति के साथ भारत की संस्कृति की तुलना की।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

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उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में) इन बतूता और बर्नियर ने जिन दृष्टिकोणों से भारत में अपनी यात्राओं के वृत्तांत लिखे थे, उनकी तुलना कीजिए तथा अंतर बताइए।  

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उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में) बर्नियर के वृत्तांत से उभरने वाले शहरी केंद्रों के चित्र पर चर्चा कीजिए।

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Answered by bhatiamona
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उत्तर 1  दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में) किताब-उल-हिन्द पर एक लेख लिखिए।

‘किताब-उल-हिंद’ पर एक लेख —

‘किताब-उल-हिंद’ अरब के सुप्रसिद्ध लेखक अब्बू रिहान की एक प्रसिद्ध रचना है। अबू रिहान को ‘अल-बरुनी’ के नाम से अधिक जाना जाता है।

‘किताब-उल-हिंद’ को ‘तहकीक-ए-हिंद’ के नाम से भी जाना जाता है। इस किताब में लगभग 80 अध्याय हैं, जिनमें भारत के ज्ञान, दर्शन, समाज, धर्म, रीति-रिवाज, उत्सव-त्योहारों, माप-तोल, मूर्तिकला, कानून, विज्ञान आदि अनेक विषयों पर प्रकाश डाला गया है।

‘अल-बरूनी’ ने यह किताब अरबी भाषा में लिखी थी। ‘किताब-उल-हिंद’ की प्रमुख विशेषता इसकी लेखन शैली है और इस किताब के हर अध्याय में एक विशिष्ट शैली का प्रयोग किया गया है। अध्याय के आरंभ में एक प्रश्न होता था उसके बाद संस्कृतवादी परंपराओं के आधार पर उस प्रश्न के उत्तर का विस्तार पूर्वक वर्णन किया जाता गया है और आखिर में अन्य संस्कृतियों के साथ उसका उसकी एक तुलनात्मक विवेचना भी प्रस्तुत की गई है।

अल-बरूनी ने अपने इस ग्रंथ ‘किताब-उल-हिंद’ में उस समय के भारत की प्राकृतिक और राजनीतिक परिस्थितियों तथा सामाजिक दशाओं का विस्तार से वर्णन किया है। उसने भारत की भौगोलिक परिस्थितियों पर भी विस्तार से प्रकाश डाला है। उसने भारतीय भाषाओं, रीति-रिवाजों, सामाजिक परंपराओं, धार्मिक मान्यताओं एवं भारत के दर्शन आदि का विस्तार से वर्णन किया है। उसने भारत के अनेक प्रसिद्ध ग्रंथ जैसे श्रीमद्भागवत गीता, वेद, पुराण, उपनिषद, पतंजलि के योग शास्त्र आदि महत्वपूर्ण ग्रंथों का भी अपने पुस्तक में उल्लेख किया है। इसके साथ ही उसने भारत के खान-पान, वेशभूषा, उत्सव और भारतीय संस्कृति के अन्य महत्वपूर्ण बिन्दुओं का विस्तार से वर्णन किया है।

अल-बरूनी ने ‘किताब-उल-हिंद’ में तत्कालीन भारत की प्रशासनिक व्यवस्था पर भी अपना विवेचन प्रस्तुत किया है और भारत की न्याय व्यवस्था की प्रशंसा करते हुए उसे उदारवादी और मानवीय दृष्टि से परिपूर्ण बताया है। अरबरूनी के इस ग्रंथ से तत्कालीन भारत के विषय में एक महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।

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उत्तर दीजिए (लगभग 100 से 150 शब्दों में) इन बतूता और बर्नियर ने जिन दृष्टिकोणों से भारत में अपनी यात्राओं के वृत्तांत लिखे थे, उनकी तुलना कीजिए तथा अंतर बताइए।

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