उत्तर दीजिए ( लगभग 100 से 150 शब्दों में) औपनिवेशिक मद्रास में शहरी और ग्रामीण तत्व किस हद तक घुल-मिल गए थे?
Answers
औपनिवेशिक मद्रास में शहरी और ग्रामीण तत्व एक दूसरे से घुल-मिल गए थे जिसकी जानकारी निम्नलिखित बातों से मिलती है -
- मद्रास का विकास अनेक गांवों को मिलाकर किया गया था, जहां अनेक समुदायों के लोग बसे हुए थे। दुभाष एजेंट एक व्यापारी के रूप में काम करते थे जो स्थानीय भाषाओं और अंग्रेजी में बात कर सकते थे
- ये सरकार में अपनी पहुंच का उपयोग कर लोक हित के कार्यों को तथा मंदिरों को संरक्षण प्रदान कर समाज में अपनी स्थिति को शक्तिशाली बनाते थे।
- फोर्ट सेंट जॉर्ज की उत्तर दिशा में एक नया ब्लैक टाउन बसाया गया था, जिसमें बुनकरों , कारीगरों तथा दुभाषियों को रहने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था, जो ब्रिटिश कंपनी के व्यापार में महत्वपूर्ण योगदान देते थे।
- भारतीय उच्च वर्गों में संपन्नता के कारण ये भी अंग्रेजों के समान जीवन व्यतीत करने लगे। इसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश बस्तियों के आसपास स्थित गांव , उप शहरी इलाकों में परिवर्तित होने लगे। यहां गुजराती बैंकर के साथ अनाज व्यवसाय पर नियंत्रण रखने वाला व्यापारी वर्ग भी था।
- गरीब लोग भी अपने काम की तलाश में इन इलाकों के आसपास बसने लगे। इस प्रकार मद्रास में बढ़ते शहरीकरण के कारण यह एक अर्द्ध ग्रामीण शहर दिखने लगे थे।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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प्रश्न
औपनिवेशिक मद्रास में शहरी और ग्रामीण तत्व किस हद तक घुल-मिल गए थे?
उत्तर:
अंग्रज व्यापारियों ने वस्त्र उत्पादों की खोज में 1639 ई० में पूर्वीतट पर मद्रास पट्टनम में एक व्यापारिक बस्ती की स्थापना की। सुरक्षा की दृष्टि से उन्होंने मद्रास की किलेबंदी करवाई और यह किला फोर्ट सेंट जॉर्ज के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1761 ई० में फ्रांसीसियों की पराजय के परिणामस्वरूप मद्रास और अधिक सुरक्षित हो गया तथा शीघ्र ही एक महत्त्वपूर्ण व्यावसायिक शहर बन गया। यूरोपीय किलेबंद क्षेत्र के अंदर रहते थे, जिसे ‘व्हाइट टाउन’ कहा जाता था। फोर्ट सेंट जॉर्ज ‘व्हाइट टाउन’ का केंद्रक था। भारतीय ब्लैक टाउन, जिसे किलेबंद क्षेत्र के बाहर स्थापित किया गया था, में रहते थे। उल्लेखनीय है कि मद्रास का विकास अनेक ग्रामों को मिलाकर किया गया था। अतः इसमें शहरी और ग्रामीण तत्वों का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता था। मद्रास में भिन्न-भिन्न समुदायों के लिए रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध थे।
अतः विविध प्रकार के आर्थिक कार्य करने वाले अनेक समुदाय यहाँ आए और यहीं बस गए। दुबाश, तेलुगू कोमाटी और वेल्लालार इसी प्रकार के समुदाय थे। दुबाश स्थानीय भाषा और अंग्रेज़ी दोनों को बोलने में कुशल थे। अतः वे भारतीयों एवं गोरों के बीच मध्यस्थ का काम करते थे। वेल्लालार नवीन अवसरों का लाभ उठाने वाली एक स्थानीय ग्रामीण जाति थी और तेलुगू कोमाटी अनाज व्यापार में लगा एक प्रभावशाली व्यावसायिक समुदाय था। 18वीं शताब्दी से गुजराती बैंकर भी यहाँ बस गए थे। पेरियार एवं वन्नियार गरीब श्रमिक वर्ग के अंतर्गत आते थे। समीप ही स्थित ट्रिप्लीकेन मुस्लिम जनसंख्या का केंद्र था। अर्काट के नवाब भी यहाँ रहते थे। माइलापुर तथा ट्रिप्लीकेन जाने-माने हिंदू धार्मिक केंद्र थे। अनेक ब्राह्मण अपनी आजीविका यहीं से प्राप्त करते थे। सानथोम तथा वहाँ का बड़ा गिरजाघर रोमन कैथोलिक लोगों का केंद्र था।