उदय प्रकाश की कहानी अंतिम नींबू की सारांश
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तो, यही वह ग़ैब या तुरीयावस्था थी कि वृक्ष हो चुके विनायक दत्तात्रेय को वह नींबू दिखाई दे गया, जिसे अब तक किसी ने नहीं देखा था। जब कि उनके बगीचे में हर रोज़ पाँच-छह लोग कभी न कभी रहे ही आते थे। वे स्वयं इस बगीचे में दिन भर में, के चलते, कई-कई चक्कर लगाते थे। वह इस मौसम का अंतिम नींब था।
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