Hindi, asked by deshdeepakjaisw940, 1 month ago

उधौ मन अभिमान बढ़ाओ
जादूपति जोग जानि जिए साची, नैन अकास चढ़ाए।
नारिनी पै मोकौ पठवत हैं कहत सिखावन जोग ।
मन ही मन आप करत प्रशंशा, यह मिथ्या सुख भोग।।

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Answered by ayushiraturi74
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Answer:

ऊधो जो अनेक मन होते

तो इक श्याम-सुन्दर को देते, इक लै जोग संजोते।

एक सों सब गृह कारज करते, एक सों धरते ध्यान।

एक सों श्याम रंग रंगते, तजि लोक लाज कुल कान।

को जप करै जोग को साधै, को पुनि मूँदे नैन।

हिए एक रस श्याम मनोहर, मोहन कोटिक मैन।

ह्याँ तो हुतो एक ही मन, सो हरि लै गये चुराई।

'हरिचंद' कौउ और खोजि कै, जोग सिखावहु जाई॥

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