uTOL
था कली के रूप शैशव में अहो सूखे सुमन,
The wind us to you for
हास्य करता था, खिलाती अंक में तुझको पवन
Evebomanyatta
खिल गया जब पूर्ण तू, मंजुल सुकोमल पुष्पवर,
लुब्ध मधु के हेतु मँडराने लगे आने भ्रमर।
Sahya
laugh
The night wed to gift
रात तुझ पर वारती थी, मोतियों की संपदा।
लोरियाँ गाकर मधुप निद्रा विवश करते तुझे,
यत्न माली का रहा, आनंद से भरता तुझे।
कर रहा अठखेलियाँ इतरा सदा उद्यान में,
अंत का यह दृश्य आया था कभी क्या ध्यान में?
सो रहा अब तू धरा पर शुष्क बिखराया हुआ,
गंध कोमलता नहीं, मुख मंजु मुरझाया हुआ।
आज तुझको देखकर चाहक भ्रमर आता नहीं,
लाल अपना राग तुझ पर प्रात बरसाता नहीं।
जिस पवन ने अंक में ले, प्यार था तुझको किया,
तीव्र झोंके से सुला, उसने तुझे भू पर दिया।
कर दिया मधु और सौरभ, दान सारा एक दिन,
किंतु रोता कौन है, तेरे लिए दानी सुमन?
मत व्यथित हो फूल, किसको सुख दिया संसार ने,
स्वार्थमय सबको बनाया है यहाँ करतार ने।
विश्व में हे फूल! तू सबके हृदय भाता रहा,
दान कर सर्वस्व फिर भी हाय हाता रहा।
जब न तेरी ही दशा पर दुख हुआ संसार को,
कौन रोएगा सुमन, हमसे मनुज निम्यार को।
-महादेवी वर्मा
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